विदेशी मुद्रा भंडार 86.7 करोड़ डॉलर घटा, भारत उभरते बाजार सूचकांक में होगा शामिल

India Forex Reserve: स्वर्ण भंडार का मूल्य 38.4 करोड़ डॉलर घटकर 44 अरब डॉलर रहा।आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.2 करोड़ डॉलर घटकर 18.09 अरब डॉलर रहा।समान सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास रखा देश का मुद्रा भंडार 40 लाख डॉलर घटकर 5.03 अरब डॉलर रहा।

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरा

India Forex Reserve:देश का विदेशी मुद्रा भंडार 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 86.7 करोड़ डॉलर घटकर 593.04 अरब डॉलर रहा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।पिछले सप्ताह देश का कुल मुद्रा भंडार 4.99 अरब डॉलर घटकर 593.90 अरब डॉलर रहा था।अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। पिछले साल वैश्विक घटनाक्रम के कारण उत्पन्न दबावों के बीच केंद्रीय बैंक ने रुपये की विनिमय दर में गिरावट थामने के लिए इस पूंजी भंडार का उपयोग किया था जिससे विदेशी मुद्राभंडार में कमी आई।

सोने का कितना भंडार

रिजर्व बैंक के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 15 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा आस्तियां 51.1 करोड़ डॉलर घटकर 525.91 अरब डॉलर रही।डॉलर में अभिव्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में आई घट-बढ़ के प्रभावों को भी शामिल किया जाता है। स्वर्ण भंडार का मूल्य 38.4 करोड़ डॉलर घटकर 44 अरब डॉलर रहा।आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.2 करोड़ डॉलर घटकर 18.09 अरब डॉलर रहा।समान सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास रखा देश का मुद्रा भंडार 40 लाख डॉलर घटकर 5.03 अरब डॉलर रहा।

बढ़ेगी विदेशी मुद्रा

वित्तीय कंपनी जे पी मॉर्गन ने अगले साल से भारत की सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) को उभरते बाजार सूचकांक में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।इस कदम से जहां एक तरफ पूंजी प्रवाह आकर्षित करने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ सरकार के लिए कर्ज लेने की लागत कम हो जाएगी।भारतीय सरकारी बॉन्ड को 28 जून 2024 से 31 मार्च 2025 तक 10 महीने की अवधि में क्रमबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।जे पी मॉर्गन ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा, ‘‘उसकी अगले साल से भारत की सरकारी बॉन्ड (आईजीबी) या सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) को उभरते बाजार सूचकांक में शामिल करने की योजना है।’’
जीबीआई-ईएम (वैश्विक बॉन्ड सूचकांक-उभरता बाजार) ‘ग्लोबल डायवर्सिफाइड’ में भारत का भारांश अधिकतम 10 प्रतिशत और जीबीआई-ईएम वैश्विक सूचकांक में करीब 8.7 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।इससे अधिक विदेशी पूंजी प्रवाह आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इसकी वजह कई विदेशी संस्थागत निवेशक वैश्विक सूचकांक पर अनिवार्य रूप से ध्यान देते हैं।
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