अब 3.75 लाख करोड़ डॉलर की भारतीय इकोनॉमी,आगे की रेस में जापान-जर्मनी से टक्कर

India GDP Has Reached At 3.75 Trillion Dollar:दुनिया की बड़ी इकोनॉमी वाले देशों को देखा जाय तो 5 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचने के लिए भारत की जापान और जर्मनी से रेस है। ताजा आंकड़ों के अनुसार मौजूद करंट प्राइस पर इस समय जापान की इकोनॉमी 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने के सबसे करीब है।

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भारतीय इकोनॉमी की अहम उपलब्धि

India GDP Has Reached At 3.75 Trillion Dollar:भारतीय इकोनॉमी ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी अब 3.75 लाख करोड़ डॉलर की हो गई है। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट के जरिए यह जानकारी साझा की है। मोदी सरकार साल 2025 तक भारतीय इकोनॉमी को 5 लाख करोड़ डॉलर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। और अगर ऐसा होता है तो भारत दुनिया के चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। अभी यह माइलस्टोन अमेरिका और चीन ही हासिल कर पाए हैं।

मोदी सरकार के दौर में 1.75 लाख करोड़ बढ़ी इकोनॉमी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आफिस द्वारा ट्वीट की गई जानकारी के अनुसार भारत की GDP 3.75 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गई है। जो कि 2014 में करीब 2 लाख करोड़ डॉलर थी। ट्वीट में यह भी लिखा गया है कि भारत दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी से 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। भारत को अब दुनिया में ब्राइट स्पॉट कहा जा रहा है।

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जापान,जर्मनी और भारत में कौन निकलेगा आगे

दुनिया की बड़ी इकोनॉमी वाले देशों को देखा जाय तो 5 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंचने के लिए भारत की जापान और जर्मनी से रेस है। ताजा आंकड़ों के अनुसार करंट प्राइस के आधार पर इस समय जापान की इकोनॉमी 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने के सबसे करीब है। जापान की इकोनॉमी इस समय 4.41 लाख करोड़ रुपये की है। वहीं उसके पीछे जर्मनी की इकोनॉमी है जो कि 4.30 लाख करोड़ रुपये की है। जबकि भारत की इकोनॉमी 3.75 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। ऐसे में भारत को अगर इनसे पहले पहुंचना है तो कहीं ज्यादा तेज गति से ग्रोथ करना होगा।

अमेरिका- चीन बेहद आगे

वहीं अगर अमेरिका और चीन की इकोनॉमी को देखा जाय तो भारत से कहीं ज्यादा आगे हैं। जहां अमेरिका ने 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी की हैसियत साल 1978 में हासिल कर ली थी, वहीं चीन ने 2009 में ऐसा कारनामा कर दिखाया था। इस समय अमेरिका की इकोनॉमी 26.85 लाख करोड़ डॉलर की है। जबकि चीन की इकोनॉमी 19.37 लाख करोड़ की है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

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