समुद्री मार्ग से फल, सब्जियों का निर्यात बढ़ाने के लिए ‘प्रोटोकॉल' बना रहा है भारत
India sea trade: प्रोटोकॉल में यात्रा के समय को समझना, वैज्ञानिक रूप से इन वस्तुओं के पकने को समझना, एक विशेष समय पर कटाई करना और किसानों को प्रशिक्षण देना शामिल है। ये प्रोटोकॉल अलग-अलग फलों और सब्जियों के लिए अलग-अलग होंगे। समुद्री मार्ग से निर्यात के दो फायदे (मात्रा और लागत) हैं।
मुद्री मार्ग से निर्यात के दो फायदे (मात्रा और लागत) हैं।
India sea trade: भारत समुद्री मार्ग से केले, आम, अनार और कटहल जैसे विभिन्न फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोकॉल (व्यवस्था) तैयार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। फिलहाल इनमें से अधिकांश का निर्यात कम मात्रा और अलग-अलग पकने की अवधि के कारण हवाई मार्ग से हो रहा है।
समुद्री मार्ग से निर्यात के दो फायदे
प्रोटोकॉल में यात्रा के समय को समझना, वैज्ञानिक रूप से इन वस्तुओं के पकने को समझना, एक विशेष समय पर कटाई करना और किसानों को प्रशिक्षण देना शामिल है। ये प्रोटोकॉल अलग-अलग फलों और सब्जियों के लिए अलग-अलग होंगे। वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि समुद्री मार्ग से निर्यात के दो फायदे (मात्रा और लागत) हैं।
कृषि उत्पादों को भेजने के लिए समुद्री मार्ग का उपयोग कैसे कर सकते हैं
इससे फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी क्योंकि हवाई माल परिवहन से निर्यात का इन वस्तुओं की कीमत प्रतिस्पर्धा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, “अबतक हम इन खराब होने वाले उत्पादों के निर्यात के लिए हवाई मार्गों का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन अब, हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि इन कृषि उत्पादों को भेजने के लिए समुद्री मार्ग का उपयोग कैसे कर सकते हैं। अब, हमने इसके लिए समुद्री प्रोटोकॉल विकसित करना शुरू कर दिया है।”
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