डेमेग्राफिक डिविडेंड का फायदा नहीं उठा रहा है भारत, विकसित राष्ट्र बनने के लिए जरूरी, बोले रघुराम राजन

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा नहीं उठा रहा है। जहां चीन तथा कोरिया तब थे जब उन्होंने अपना जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा हासिल किया था।

RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

वॉशिंगटन: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को कहा कि भारत जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा नहीं उठा रहा है। जनसांख्यिकीय लाभांश से तात्पर्य कार्यबल अधिक होने और आश्रितों की संख्या कम होने से उत्पादकता बढ़ने और इसी क्रम में तेज आर्थिक वृद्धि से है। राजन ने इस बात पर जोर दिया कि मानव पूंजी में सुधार और उनके कौशल को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है। राजन ने यहां जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में ‘2047 तक भारत को एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनाना: इसके लिए क्या करना होगा’ विषय पर चर्चा में कहा कि मुझे लगता है कि हम इसके (जनसांख्यिकीय लाभांश) बीच में हैं, लेकिन समस्या यह है कि हम इसका फायदा नहीं उठा रहे हैं।

सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों से गड़बड़ी करें दूर

उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने कहा कि छह प्रतिशत वृद्धि। यदि आप सोचते हैं कि अभी हम इसी स्थिति में हैं, तो सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों से गड़बड़ी को दूर कर लें। वह छह प्रतिशत जनसांख्यिकीय लाभांश में ही है। यह उससे काफी कम है जहां चीन तथा कोरिया तब थे जब उन्होंने अपना जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा हासिल किया था। राजन भारत द्वारा चिप निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च करने के आलोचक रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन चिप कारखानों के बारे में सोचें। चिप निर्माण पर इतने अरबों डॉलर की सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा, जबकि चमड़ा जैसे रोजगार प्रधान कई क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।

नौकरियों की कमी की समस्या

राजन ने कहा कि हम उन क्षेत्रों में नीचे जा रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे पास नौकरियों की कमी की समस्या है। यह पिछले 10 साल में उत्पन्न नहीं हुई बल्कि पिछले कुछ दशकों से बढ़ रही है। हालांकि अगर आप उन क्षेत्रों की उपेक्षा करते हैं जिन्हें बढ़ाया जा सकता है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें अब चमड़ा क्षेत्र पर सब्सिडी देने की जरूरत है, लेकिन यह पता लगाएं कि वहां क्या गलत हो रहा है और उसे सुधारने का प्रयास करें। एक सवाल के जवाब में राजन ने कहा कि बहुत सारे भारतीय नवप्रवर्तक अब सिंगापुर या सिलिकॉन वैली का रुख कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां अंतिम बाजारों तक पहुंच बहुत आसान लगती है।

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