लागत घटने से मैन्युफैक्चरिंग PMI 3 माह के रिकॉर्ड स्तर पर, लेकिन नए रोजगार के मोर्चे पर कंपनियां सुस्त

India Manufacturing PMI: सर्वे के मुताबिक लागत संबंधी मुद्रास्फीति मार्च में ढाई साल के अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई है। लेकिन रोजगार के मोर्चे पर, व्यापार में मामूली वृद्धि होने की वजह से कंपनियों ने नई भर्तियां नहीं की है।

Manufacturing PMI

मैन्युफैक्चरिंग में तेजी

तस्वीर साभार : भाषा

India Manufacturing PMI:मार्च का महीना भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए काफी अच्छा रहा है। लागत में कमी का असर सेक्टर के प्रदर्शन पर दिखा है।नए ऑर्डर तथा उत्पादन में विस्तार होने से मांग में तेजी आई है। और उसी का असर है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की गतिविधियां मार्च महीने के दौरान तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। सोमवार को जारी S&P ग्लोबल के PMI आंकड़ों के अनुसार मार्च महीनें में सूचकांक 56.4 के स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले फरवरी में यह 55.3 पर था।

लगातार 21 महीने से तेजी

मार्च के पीएमआई आंकड़े के अनुसार, लगातार 21वें महीने के लिए ऑपरेशनल स्थितियों में सुधार हुआ है।पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है कि कारोबारी गतिविधियों में विस्तार हुआ है, जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट हुई है।एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की सहायक निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा है कि मार्च में भारतीय उत्पादों की घरेलू मांग मजबूत रही। उत्पादन में लगातार विस्तार हो रहा है और कंपनियों ने अपने स्टोरेज बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

लागत की महंगाई में बढ़ी गिरावट

सर्वे के मुताबिक लागत संबंधी मुद्रास्फीति मार्च में ढाई साल के अपने दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई और इसकी वजह आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव कम होना तथा कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ना है।रिपोर्ट कहती है कि 96 प्रतिशत कंपनियों को फरवरी के बाद से लागत दबाव में कोई परिवर्तन महसूस नहीं हुआ है। लीमा ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में बिक्री के दाम और बढ़े हैं लेकिन मुद्रास्फीति की दर सामान्य है और लगभग फरवरी जितनी ही है। बिक्री बढ़ाने की खातिर शुल्क जस के तस रखे गए हैं। रोजगार के मोर्चे पर, व्यापार में मामूली वृद्धि होने की वजह से कंपनियों ने नई भर्तियां नहीं की है। लीमा ने कहा कि कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं के पास पर्याप्त क्षमता है, काम का दबाव ज्यादा नहीं होने से मार्च में रोजगार सृजन प्रभावित हुआ।

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