FDI: भारत को FDI के लिए बड़े कदमों की जरूरत, तब चीन से होगा पाए मुकाबला
FDI, GTRI: चीन को बड़े पैमाने पर स्थानीय उत्पादन तथा कुशल आपूर्ति श्रृंखलाओं के कारण कम लागत का लाभ मिलता है। FDI आकर्षित करने में भारत, चीन (189.1 अरब अमरीकी डॉलर), ब्राजील (86.1 अरब अमरीकी डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (61.6 अरब अमरीकी डॉलर) और कनाडा (52.6 अरब अमरीकी डॉलर) जैसे देशों से काफी पीछे है।
एफडीआई के लिए बड़े बदलाव की जरूरत
FDI, GTRI:ग्लोबल इंवेस्टर्स को भारत की ओर अधिक आकर्षित करने के लिए रणनीतिक सुधारों की जरूरत है, क्योंकि प्रचुर संभावनाएं होने के बावजूद FDI आंकड़े दर्शाते हैं कि देश ने अपने अवसरों का पूरी तरह से लाभ नहीं उठाया है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चार-चरणीय योजना का सुझाव दिया है। उसका कहना है कि ऐसा करने से तेजी से FDI आएगा। भारत में वित्त वर्ष 2023-24 में 44.4 अरब अमरीकी डॉलर का एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) आया, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 1.1 प्रतिशत है।
ये कदम होंगे फायदेमंद
GTRI के अनुसार भारत को विदेशी निवेशकों के लिए एक अग्रणी विकल्प के रूप में स्थापित करने में मदद करने वाले उपाय उठाने होंगे। इसमें में देश में स्थानांतरित होने वाली कंपनियों के लिए लागत संबंधी नुकसान को कम करना, समूचे कारोबारी चक्र में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करना और निवेश प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिए एक रूपरेखा स्थापित करना शामिल है।
आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि विश्व विकास रिपोर्ट 2023 में उल्लेख है कि भारत, चीन (189.1 अरब अमरीकी डॉलर), ब्राजील (86.1 अरब अमरीकी डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (61.6 अरब अमरीकी डॉलर) और कनाडा (52.6 अरब अमरीकी डॉलर) जैसे देशों से काफी पीछे है।
जीटीआरआई ने सुझाव दिया गया कि भारत को चीन से स्थानांतरित होने वाले या वैकल्पिक उत्पादन स्थानों पर विचार करने वाले व्यवसायों को आकर्षित करने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी लागत संरचना की पेशकश करनी चाहिए। इसके लिए भारत को चार लागत-संबंधी घटकों श्रम, दर सामग्री, ऊर्जा और वित्तीय लागत पर ध्यान देने की जरूरत है।
कच्चे माल की लागत अधिक
आर्थिक शोध संस्थान के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में आयात पर निर्भरता और उच्च शुल्क के कारण गैर-पारंपरिक उत्पादनों के लिए कच्चे माल की लागत अधिक है। चीन को बड़े पैमाने पर स्थानीय उत्पादन तथा कुशल आपूर्ति श्रृंखलाओं के कारण कम लागत का लाभ मिलता है, जबकि वियतनाम आयात पर कम या शून्य शुल्क के साथ प्रतिस्पर्धी लागत प्रदान करता है।उन्होंने कहा कि भारत में वित्तीय लागत सबसे अधिक है, जहां ऋण दरें करीब नौ से 10 प्रतिशत हैं, जबकि चीन में ब्याज दरें चार से पांच प्रतिशत के आसपास हैं। वियतनाम में दरें करीब सात से आठ प्रतिशत हैं। भारत को इन लागतों पर ध्यान देने तथा सबसे अधिक लागत प्रभावी विकल्प बनने का प्रयास करने की जरूरत है।
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