इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा, ये है वजह

Emerging Markets Investable Market Index: इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स, एमएससीआई ईएम आईएमआई में भारत ने अपने भारित मूल्य के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। एमएससीआई ईएम में भारत का भार 18 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में चीन का भार 25.1 प्रतिशत से घटकर 24.5 प्रतिशत हो गया।

Emerging Markets Investable Market Index

MSCI EM IMI में चीन से भारत आगे

Emerging Markets Investable Market Index: सितंबर 2024 के दौरान मॉर्गन स्टेनली ने घोषणा करते हुए कहा कि एमएससीआई उभरते बाजार निवेश योग्य सूचकांक (इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स, एमएससीआई ईएम आईएमआई) में भारत ने अपने भारित मूल्य के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। एमएससीआई ईएम आईएमआई में भारत का भार चीन के 21.58 प्रतिशत की तुलना में 22.27 प्रतिशत रहा।

इसमें होते हैं 24 देशों के स्टॉक

एमएससीआई आईएमआई में 3,355 स्टॉक शामिल हैं, जिसमें बड़ी, मध्यम और छोटी कैप कंपनियां शामिल की जाती हैं। यह उभरते बाजारों वाले 24 देशों के स्टॉक को कवर करता है और प्रत्येक देश में निवेशकों के लिए उपलब्ध करीब 85 प्रतिशत (फ्री फ्लोट एडजस्टेड) बाजार पूंजीकरण को कवर करने का लक्ष्य रखता है। मुख्य एमएससीआई ईएम सूचकांक (मानक सूचकांक) में बड़ी और मध्यम कैप कंपनियां शामिल होतीं हैं, वहीं आईएमआई को बड़ी, मध्यम और छोटी कैप स्टॉक के साथ अधिक व्यापक बनाया गया है। एमएससीआई आईएमआई में चीन के मुकाबले भारत का अधिक भार, छोटी-कैप की अधिक भारित क्षमता के कारण है।

भारतीय कॉरपोरेट्स का शानदार प्रदर्शन

पुनर्संतुलन व्यापक बाजार रुझानों को दर्शाता है। चीन में विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के कारण चीन के बाजार संघर्ष कर रहे हैं, जबकि भारत के बाजारों को अनुकूल व्यापक आर्थिक स्थितियों से लाभ हुआ है। हाल के दिनों में, भारत ने देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों के साथ-साथ भारतीय कॉरपोरेट्स के शानदार प्रदर्शन के बल पर इक्विटी बाजार में बेहतर प्रदर्शन किया है।

एफडीआई में 47 प्रतिशत की वृद्धि

इसके अलावा, भारतीय इक्विटी बाजार में लाभ का व्यापक आधार है, जो बड़े कैप के साथ-साथ मध्यम-कैप और छोटे-कैप सूचकांकों में भी दिखाई पड़ता है। इस सकारात्मक रुझान में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में शामिल हैं - 2024 की शुरुआत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि, कच्चे तेल की कीमतों में कमी और भारतीय ऋण बाजारों में पर्याप्त विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई)।

शेयरों का सापेक्ष भार भारत का बढ़ा, चीन का घटा

परिणामस्वरूप, एमएससीआई अपने सूचकांकों में भारतीय शेयरों का सापेक्ष भार बढ़ा रहा है। एमएससीआई ईएम आईएमआई के अलावा, यह तथ्य एमएससीआई ईएम सूचकांक में भी चीन के भार में सापेक्ष गिरावट के साथ-साथ भारत के भार में वृद्धि से स्पष्ट है। मार्च-2024 से अगस्त-2024 के दौरान, एमएससीआई ईएम में भारत का भार 18 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि में चीन का भार 25.1 प्रतिशत से घटकर 24.5 प्रतिशत हो गया।

भारतीय इक्विटी में 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह

विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार, एमएससीआई ईएम आईएमआई में हुए इस बदलाव के बाद भारतीय इक्विटी में करीब 4 से 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह दिखाई दे सकता है। आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिए अपेक्षित निवेश की अपनी गति को बनाए रखने के लिए, भारत को घरेलू एवं विदेशी, दोनों स्रोतों से पूंजी की जरुरत है। इस संदर्भ में, वैश्विक ईएम सूचकांकों में भारत के भार में वृद्धि का सकारात्मक महत्व है।
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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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