भारत में खत्म हो जाएंगी 22 फीसदी परंपरागत नौकरियां, इन 3 जगहों के लिए रिज्यूम कर लें तैयार
WEF Report Future of Jobs: WEF के अनुसार दुनिया में अगले पांच साल में नई नौकरियों की 10.2 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। जबकि परंपरागत नौकरियों में 12.3 फीसदी की गिरावट की आशंका है। भारत के बारे में कहा गया है कि 61 प्रतिशत कंपनियां सोचती हैं कि ESG(पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) सेक्टर नौकरी की बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाएंगे।
भारत में इन सेक्टर में बनेंगे नए अवसर
WEF Report Future of Jobs:भारतीय जॉब मार्केट से अगले पांच साल में 22 फीसदी परंपरागत नौकरियां खत्म हो जाएंगी। ऐसे में परंपरागत क्षेत्र में नौकरियों के लिए अवसर कम होंगे। विश्व आर्थिक मंच (WEF)की रिपोर्ट के अनुसार इसका असर यह होगा कि नौकरियों के अवसर 22 प्रतिशत कम जरुर होंगे लेकिन इन 5 साल में AI, मशीन लर्निंग और डेटा सेगमेंट में नौकरी बढ़ने की भी संभावना है। WEF की फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट में हालांकि दुनिया की तुलना में भारत की स्थिति तो बेहतर बताया गया है। उसके अनुसार वैश्विक स्तर पर रोजगार बाजार में 23 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। जो कि भारत के 22 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है।
WEF ने क्या कहा
WEF के अनुसार दुनिया में अगले पांच साल में नई नौकरियों की 10.2 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। जबकि परंपरागत नौकरियों में 12.3 फीसदी की गिरावट की आशंका है। इसे देखते हुए 23 फीसदी नौकरी घट सकती हैं। इस सर्वेक्षण में 803 कंपनियों को शामिल किया गया है। इस दौरान दुनिया भर 69 करोड़ नई नौकरियों के सृजन होंगे और परंपरागत क्षेत्र की 83 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की आशंका है। ऐसे में नौकरियों में 14 करोड़ की कमी आ सकती है, जो मौजूदा रोजगार का करीब 2 प्रतिशत है।
भारत में इस तरह के होंगे बदलाव
रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि 61 प्रतिशत कंपनियां सोचती हैं कि ESG(पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) सेक्टर नौकरी की बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके बाद नई तकनीकों को अपनाने में वृद्धि (59 प्रतिशत) और डिजिटल पहुंच को व्यापक(55 प्रतिशत) करने पर उनका फोकस रहेगा। यह भी बताया गया कि भारत में उद्योग जगत में बदलाव के लिए के लिए AI और मशीन लर्निंग और डेटा सेगमेंट अहम भूमिका निभाएंगे। भारत उन 7 देशों में गिना जाता है, जहां नॉन सोशल जॉब यानी गैर-सामाजिक नौकरियों के तुलना में सोशल जॉब यानी सामाजिक नौकरियों के लिए रोजगार का प्रसार धीमी रही है।
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