APAC ऑफिस मार्केट में टॉप पर भारत, सितंबर तिमाही में मांग में हिस्सेदारी 70% रही
India tops APAC office market activity: एशिया-प्रशांत ऑफिस मार्केट 2025 में बढ़ने का अनुमान है और नया डेटा दिखाता है कि तीसरी तिमाही में शीर्ष बाजारों में सालाना आधार पर 10.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत, न्यूजीलैंड और सिंगापुर जैसे देशों में मांग मजबूत थी, इन बाजारों में ऑफिस लीजिंग में वार्षिक वृद्धि 30 प्रतिशत से अधिक थी।
प्रतीकात्मक फोटो (Image-istock)
India tops APAC office market activity: एशिया-प्रशांत क्षेत्र की ऑफिस मार्केट में मांग में 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत शीर्ष पर रहा। शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
एपीएसी ऑफिस लीजिंग एक्टिविटी में टॉप पर भारत
कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 17.3 मिलियन स्क्वायर फीट के साथ भारत एपीएसी ऑफिस लीजिंग गतिविधियों में शीर्ष पर रहा। देश में ए ग्रेड के ऑफिस की आधे से अधिक मांग हैदराबाद और बेंगलुरु से आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि तीसरी तिमाही में 14.4 मिलियन वर्ग फुट से अधिक नए निर्माण के साथ, भारत में कुल मिलाकर नई आपूर्ति ने मांग को फॉलो किया है।
कोलियर्स इंडिया में ऑफिस सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर, अर्पित मेहरोत्रा ने कहा कि किरायों में बढ़ोतरी शहर-दर-शहर बदलती है। कुल रेंटल प्रॉपर्टी साइकिल ऑस्ट्रेलिया, जापान और न्यूजीलैंड के अनुरूप है। इसके अतिरिक्त, प्रतिस्पर्धी किराये और विविध अधिभोगी क्षेत्रों से मजबूत मांग एपीएसी क्षेत्र में भारतीय ऑफिस मार्केट की स्थिति को मजबूत करना जारी रखेगी।
इन देशों में बढ़ी मांग
एशिया-प्रशांत ऑफिस मार्केट 2025 में बढ़ने का अनुमान है और नया डेटा दिखाता है कि तीसरी तिमाही में शीर्ष बाजारों में सालाना आधार पर 10.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत, न्यूजीलैंड और सिंगापुर जैसे देशों में मांग मजबूत थी, इन बाजारों में ऑफिस लीजिंग में वार्षिक वृद्धि 30 प्रतिशत से अधिक थी।
कोलियर्स इंडिया में सीनियर डायरेक्टर और हेड ऑफ रिसर्च, विमल नादर ने कहा कि भारत में लीजिंग गतिविधियों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। 2024 में ग्रेड ए स्पेस का अपटेक 54 से 64 मिलियन स्क्वायर फीट रह सकता है। एशिया-प्रशांत में आपूर्ति की बात की जाए तो आने वाली तिमाही में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पूरे हो सकते हैं। इससे आपूर्ति में बढ़त देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट में बताया गया कि अनिश्चितताओं के बावजूद मांग और आपूर्ति करीब बराबर रहेगी और इसके कारण किरायों की दरें एक सीमित दायरे में रह सकती हैं।
इनपुट-आईएएनएस
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