QIP Investment: क्या होता QIP, जिससे कंपनियों ने 2024 में बनाया कीर्तिमान; जुटा लिए रिकॉर्ड 1.21 लाख करोड़ रुपये
QIP Transactions: नवंबर तक भारतीय कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिए कुल 1,21,321 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह आंकड़ा पिछले कैलेंडर वर्ष में जुटाए गए 52,350 करोड़ रुपये की तुलना में दो गुना ज्यादा है।
योग्य संस्थागत नियोजन, क्यूआईपी लेन-देन।
QIP Transactions: इस साल भारतीय कंपनियों ने योग्य संस्थागत नियोजन (QIP) के जरिए अब तक का सबसे बड़ा निवेश जुटाया है, जो 1.21 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। क्यूआईपी के माध्यम से पूंजी जुटाने का यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले दोगुना अधिक है, और इसने 2024 को अब तक का सबसे अच्छा वर्ष बना दिया है।
क्यूआईपी के माध्यम से जुटाए गए 1.21 लाख करोड़ रुपये
प्राइम डेटाबेस द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, नवंबर तक भारतीय कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिए कुल 1,21,321 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह आंकड़ा पिछले कैलेंडर वर्ष में जुटाए गए 52,350 करोड़ रुपये की तुलना में दो गुना ज्यादा है। इस शानदार वृद्धि को लेकर विश्लेषकों का मानना है कि मजबूत शेयर बाजार और उच्च मूल्यांकन इसके मुख्य कारण रहे हैं।
क्यूआईपी क्या है?
योग्य संस्थागत नियोजन (QIP) एक ऐसा तरीका है जिसके जरिए सूचीबद्ध कंपनियां बिना किसी सार्वजनिक निर्गम के सीधे संस्थागत निवेशकों से धन जुटाती हैं। यह एक तेज़ और प्रभावी तरीका है जिससे कंपनियां अपने फंड को बिना किसी जटिलता के बढ़ा सकती हैं। इस प्रक्रिया में कंपनियों को बाजार नियामकों के सामने निर्गम-पूर्व फाइलिंग जमा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस साल क्यूआईपी में सक्रिय कंपनियां
2024 में अब तक 82 कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिए पूंजी जुटाई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में केवल 35 कंपनियों ने ऐसा किया था। सबसे बड़ी क्यूआईपी लेनदेन में अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस और वरुण बेवरेजेज शामिल हैं, जिन्होंने क्रमशः 8,373 करोड़ रुपये और 7,500 करोड़ रुपये जुटाए। इसके अलावा, गोदरेज प्रॉपर्टीज, मदरसन इंटरनेशनल, और केईआई इंडस्ट्रीज ने भी क्यूआईपी के जरिए महत्वपूर्ण धन जुटाया।
क्यूआईपी के प्रमुख लीड मैनेजर
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, जेएम फाइनेंशियल इस साल क्यूआईपी लेनदेन के लिए सबसे बड़े लीड मैनेजर के रूप में उभरा, जिसने 16 निर्गमों का संचालन किया।
भविष्य की दिशा
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय कंपनियां क्यूआईपी के माध्यम से पूंजी जुटाना जारी रखेंगी, और मजबूत बाजार की स्थिति इसे और बढ़ावा देगी। इस वृद्धि से यह साफ हो गया है कि क्यूआईपी भारत में संस्थागत निवेशकों के लिए एक प्रभावी विकल्प बन चुका है।
भाषा इनपुट के साथ
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