Make In India:भारतीय इकोनॉमी में आ रहा है बड़ा चेंज, मैन्युफैक्चरिंग का निर्यात में बढ़ा दबदबा- अश्विनी वैष्णव

India Export:पहले निर्यात आंकड़ों में सेवा क्षेत्र का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अब फार्मास्युटिकल्स, मोबाइल फोन और विभिन्न वस्तुओं ने इसकी जगह ले ली है।मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात आंकड़ों के अनुसार, कुल 762 अरब डॉलर के निर्यात में 453 अरब डॉलर विनिर्मित वस्तुओं का रहा। वहीं सेवा क्षेत्र का योगदान 309 अरब डॉलर रहा।

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मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन बढ़ा

India Export:देश की इकोनॉमी में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले निर्यात आंकड़ों में सेवा क्षेत्र का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अब फार्मास्युटिकल्स, मोबाइल फोन और विभिन्न वस्तुओं ने इसकी जगह ले ली है। केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के कारण विनिर्माण-आधारित उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इससे देश में रोजगार के अवसर भी अच्छे-खासे बढ़े हैं। मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात आंकड़ों के अनुसार, कुल 762 अरब डॉलर के निर्यात में 453 अरब डॉलर विनिर्मित वस्तुओं का रहा। वहीं सेवा क्षेत्र का योगदान 309 अरब डॉलर रहा।

बदल रही है अर्थव्यवस्था

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि पहले निर्यात आंकड़ों में सेवा क्षेत्र का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अब फार्मास्युटिकल्स, मोबाइल फोन और विभिन्न वस्तुओं ने इसकी जगह ले ली है।मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के निर्यात आंकड़ों के अनुसार, कुल 762 अरब डॉलर के निर्यात में 453 अरब डॉलर विनिर्मित वस्तुओं का रहा। वहीं सेवा क्षेत्र का योगदान 309 अरब डॉलर रहा।

वैष्णव ने कहा कि यह देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव को दर्शाता है। विनिर्माण आधारित निर्यात आम आदमी के जीवन पर असर डालता है। अगर हम जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करें, तो पाएंगे कि उन सभी ने अपनी आर्थिक यात्रा के दौरान निम्न-आय से मध्यम-आय और फिर उच्च-आय की ओर बढ़ते हुए विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया।

रोजगार बढ़ा

उन्होंने आगे कहा कि अगर हम 1800 के आसपास या 1900 की शुरुआत में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन आदि देशों की विकास अवधि का अध्ययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि उन्होंने भी कम आय से मध्यम और उच्च आय की ओर बढ़ने के लिए विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि जो देश विकास के दौर से गुजरे हैं, उन सभी ने विनिर्माण को महत्व दिया है। यह काम प्रधानमंत्री ने मेक-इन-इंडिया के जरिये किया है।वैष्णव के अनुसार, विनिर्माण आधारित वृद्धि ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है। यह संगठित क्षेत्र में बढ़ी नौकरियों या भविष्य निधि में पंजीकरण के आंकड़ों से स्पष्ट है। यह छह लाख मासिक या लगभग 70 लाख सालाना से बढ़कर 14 से 15 लाख मासिक या लगभग 1.8 करोड़ सालाना हो गया है।

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