India GDP: भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान,
India GDP: आजादी के बाद से, आर्थिक वृद्धि के रुख को लेकर भारत में तीन संरचनात्मक बदलाव हुए हैं। यह 2002 से 2019 के दौरान बढ़कर सात प्रतिशत हो गयी है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान आर्थिक वृद्धि में भारी गिरावट आई। वहीं 2021 से 2024 के दौरान वृद्धि दर औसतन आठ प्रतिशत रही।
जीडीपी
India GDP: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2024-25 में 7.2 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में लगभग सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। उसके बाद, इस बात की काफी संभावना है कि वृद्धि दर आठ प्रतिशत के रुख पर वापस आ जाएगी।
उन्होंने सोमवार को यहां फेडरल रिजर्व द्वारा आयोजित न्यूयॉर्क फेड सेंट्रल बैंकिंग सेमिनार में कहा, ‘‘...मैं पूरे विश्वास के साथ यह मानता हूं कि भारत का समय आ गया है। देश 28 साल की औसत आयु वाली दुनिया की सबसे युवा आबादी के साथ अपने भविष्य की ओर बढ़ रहा है।’’ दुनिया के कई देशों के विपरीत, कामकाजी उम्र के लोगों की आबादी बढ़ रही है। कामकाजी उम्र की श्रेणी में हर छठा व्यक्ति भारतीय है।
पात्रा ने कहा कि 1947 में आजादी के बाद से, आर्थिक वृद्धि के रुख को लेकर भारत में तीन संरचनात्मक बदलाव हुए हैं। यह 2002 से 2019 के दौरान बढ़कर सात प्रतिशत हो गयी है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान आर्थिक वृद्धि में भारी गिरावट आई। वहीं 2021 से 2024 के दौरान वृद्धि दर औसतन आठ प्रतिशत रही।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था
भारत को अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था माना जाता है। पात्रा ने कहा कि भारत विनिमय दर के मामले में पहले से ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। वहीं क्रय शक्ति समानता के मामले में देश पहले से ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 में 7.2 प्रतिशत
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2024-25 में 7.2 प्रतिशत और 2025-26 में लगभग 7.0 प्रतिशत होगी...उसके बाद, इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करेगा।’’ पात्रा ने मुद्रास्फीति पर कहा कि 2024-25 में इसके औसतन 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
महंगाई जुलाई-अगस्त के दौरान चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त के दौरान चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही, लेकिन कुछ खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी तथा प्रतिकूल तुलनात्मक आधार के कारण सितंबर में बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गई। डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान बताता है कि ये मूल्य दबाव अक्टूबर और नवंबर में बना रहेगा। उसके बाद सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति दिसंबर, 2024 के लक्ष्य के करीब आने लगेगी और 2025-26 में इसके लक्ष्य के दायरे में रहने की उम्मीद है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत व्यापक बदलाव लाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में विश्व में अगुवा के रूप में उभर रहा है।
भाषा इनपुट के साथ
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