रिलायंस, ONGC,नायरा एनर्जी को सरकार से राहत, कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स Zero किया
Government Cuts Windfall Tax: सरकार किसी इंडस्ट्री पर विंडफॉल टैक्स तब लगाती है, जब उसे यह लगता है कि इस सेक्टर की कंपनियां अप्रत्याशित रूप से बड़ा मुनाफा कमा रही हैं। रिफाइनरी कंपनियों पर विंडफाल टैक्स पहली बार 1 जुलाई 2022 को लगाया गया था।
विंडफॉल टैक्स में बड़ी कटौती
Government Cuts Windfall Tax :केंद्र सरकार ने रिफाइनरी कंपनियों को बड़ी राहत दे दी है। सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादन किए जाने वाले कच्चे तेल (क्रूड) पर विंडफाल टैक्स जीरो कर दिया है। फिलहाल कच्चे तेल पर प्रति टन 3,500 रुपये ($42.56) विंडफाल लिया जा रहा था। इसी तरह डीजल पर विंडफॉल टैक्स 1 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 0.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। सरकार का यह फैसला ओपेके प्लस के उस फैसले के एक दिन बाद आया है। जिसमें उसने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला किया है। जबकि पेट्रोल और एटीएफ (ATF) पर कोई विंडफॉल टैक्स नहीं है।
क्यों लगा था विंडफॉल टैक्स
सरकार किसी इंडस्ट्री पर विंडफॉल टैक्स तब लगाती है, जब उसे यह लगता है कि इस सेक्टर की कंपनियां अप्रत्याशित रूप से बड़ा मुनाफा कमा रही हैं। रिफाइनरी कंपनियों पर विंडफाल टैक्स पहली बार 1 जुलाई 2022 को लगाया गया था। उस वक्त एनर्जी की ज्यादा कीमतों के कारण तेल उत्पादकों (ऑयल रिफाइनरी) की कमाई कई गुना बढ़ गया था। उस वक्त सरकार ने पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसके अलावा घरेलू बाजार में कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन विंड फॉल टैक्स भी लगाया गया था। इसके पहले सरकार ने पेट्रोल और ATF पर निर्यात शुल्क हटा चुकी है। जबकि विंडफॉल टैक्स में भी लगातार कमी की जा रही थी।
कच्चे तेल पर कब लगता है विंडफॉल टैक्स
आम तौर पर सरकार तेल उत्पादकों द्वारा 75 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से अधिक कीमत पर होने वाले अप्रत्याशित लाभ को देखते हुए विंडफॉल टैक्स लगाती है। ईंधन का निर्यात लेवी मार्जिन पर आधारित होता है। ये मार्जिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत और लागत के बीच का अंतर होता है। सरकार हर 15 दिनों पर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स की समीक्षा करती है।
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