Indian Railway:रेलवे ने प्राइवेट वैगन से 2 साल के लिए की तौबा, जानें क्या है वजह
Indian Railway not to buy private sector wagons: ज्यादातर प्राइवेट वैगन पूर्वोत्तर भारत में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। लेकिन ट्रैक पर बढ़ते लोड की वजह से अब नए वैगन खरीदना मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुए रेलवे ने प्राइवेट वैगन की दो साल तक खरीद नहीं करनी का फैसला किया है।
भारतीय रेलवे का बड़ा फैसला
Indian Railway halts new applications for private sector wagons:भारतीय रेल ने प्राइवटे डिब्बों (Wagon)के इस्तेमाल से तौबा कर ली है। रेलवे , ट्रैक की कमी को देखते हुए अगले 2 साल तक प्राइवेट कंपनियों से वैगन नहीं खरीदेगी। रेलवे के इस फैसले से टाटा स्टील, जिंदल स्टील एंड पॉवर जैसी कंपनियों को झटका लगेगा। रेलवे जनरल पर्पज वैगम इन्वेस्टमेंट स्कीम (GPWIS) के तहत प्राइवेट वैगन खरीदता है। यह स्कीम रेलवे में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाकर वैगन की कमी को दूर करने के लिए साल 2018 में लांच की गई थी। लेकिन अब ट्रैक पर लोड को देखते हुए रेलवे ने नया फैसला किया है।
पूर्वोत्तर भारत में ज्यादा इस्तेमाल
इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार ज्यादातर प्राइवेट वैगन पूर्वोत्तर भारत में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। लेकिन ट्रैक पर बढ़ते लोड की वजह से अब नए वैगन खरीदना मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुए रेलवे ने प्राइवेट वैगन की दो साल तक खरीद नहीं करनी का फैसला किया है। इस समय 100 प्राइवेट रैक इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एक रैक में करीब 40-60 वैगन का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि 500 रैक अप्रूवल की प्रक्रिया में है। स्कीम के तहत प्राइवेट सेक्टर कंपनियों को इंसेंटिव मिलता है। इस वजह से भी प्राइवेट कंपनियों ने रुचि दिखाती है।
कोयले की ढुलाई की सबसे ज्यादा मांग
रेलवे को सबसे ज्यादा प्राइवेट वैगन की मांग कोयले की ढुलाई के लिए होती है। खास तौर से गर्मियों में बिजली घरों में कोयले की सप्लाई तेजी से पहुंचाने में वैगन की ज्यादा से ज्यादा जरुरत पड़ती है। प्राइवेट कंपनियां रेलवे से जल्द से जल्द ट्रैक नेटवर्क बढ़ाने की मांग कर रही है। हालांकि अब इस फैसले वैगन बनाने वाली कंपनियों पर सीधा असर होगा।
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