श्रम प्रधान क्षेत्रों के ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी घटी, 5 साल में आई काफी गिरावट
Labor Oriented Sectors: देश के गार्मेंट, समुद्री उत्पाद, प्लास्टिक और रत्न तथा आभूषण जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में परेशान करने वाले रुझान दिख रहे हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान इन क्षेत्रों में वैश्विक निर्यात में देश की हिस्सेदारी घट रही है।
श्रम प्रधान क्षेत्रों के एक्सपोर्ट में देश की हिस्सेदारी घटी
- श्रम प्रधान क्षेत्रों के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी घटी
- ग्लोबल लेवल आई गिरावट
- 3.32 लाख करोड़ रु का है एक्सपोर्ट
Labor Oriented Sectors: देश के गार्मेंट, समुद्री उत्पाद, प्लास्टिक और रत्न तथा आभूषण जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में परेशान करने वाले रुझान दिख रहे हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान इन क्षेत्रों में वैश्विक निर्यात में देश की हिस्सेदारी घट रही है।
निर्यातकों के टॉप संगठन फियो ने यह भी कहा कि लगभग 40 अरब डॉलर (3.32 लाख करोड़ रु) के एक्सपोर्ट के मामले में सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि इसमें भारत से यूरोप को किए गए कच्चे तेल की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है।
बड़ी संख्या में पैदा करते हैं रोजगार
रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे में यह वृद्धि आने वाले वर्षों में टिकाऊ नहीं हो सकती है। फियो के मुताबिक, श्रम प्रधान क्षेत्रों में निर्यात हिस्सेदारी घटी है, जो चिंता की बात है। ये क्षेत्र बड़ी संख्या में रोजगार पैदा करते हैं और साथ ही शुद्ध हाई-वल्यू एडिशन में भी महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।
चुनौती से निपटने के लिए चाहिए पॉजिटिव अप्रोच
रिपोर्ट में कहा गया कि इस चुनौती से निपटने के लिए एक सक्रिय नजरिए की आवश्यकता है, जो बाजार हिस्सेदारी घटने के कारणों की पड़ताल करे। पारंपरिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने के महत्व पर विस्तार से बताते हुए फियो ने कहा कि मोबाइल फोन का निर्यात, जिसकी राशि 10 अरब डॉलर (83000 करोड़ रु) है, उसकी नेट वैल्यू लगभग एक-दो अरब डॉलर है।
दूसरी ओर पारंपरिक क्षेत्रों के 10 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात में नौ अरब डॉलर से अधिक का शुद्ध मूल्य होता है।
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