कुवैत में कितने भारतीय रहते हैं
मुख्य बातें
- कुवैत के लिए भारतीय बहुत अहम
- इकोनॉमी में है खास योगदान
- डॉक्टर-इंजीनियर-बढ़ई करते हैं काम
Indians Workers Killed in Kuwait due to Fire In Building: कुवैत की एक बिल्डिंग में लगी आग से 40 से अधिक भारतीयों के जान चली गई है। भारतीयों की कुवैत की इकोनॉमी में बहुत अहम भूमिका है। दरअसल इस देश की कुल जनसंख्या (48.6 लाख) में 21 प्रतिशत और कुल वर्कफोर्स में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय कामगार वहां अकसर बेहद खराब हालात में काम करते हैं। उन्हें आधी बनी बिल्डिंगों में तंग कमरों में या श्रमिक शिविरों में काम करना पड़ता है। वहां अकुशल (अनस्किल्ड) भारतीय श्रमिकों की मांग अधिक है। साथ ही वहां कमाई भारत की तुलना में काफी अधिक है, इसलिए लेबर वर्ग के लोग वहां चले जाते हैं। बढ़ई, राजमिस्त्री, घरेलू कामगार, फैब्रिकेटर, ड्राइवर, फूड और कूरियर डिलीवरी बॉय तक के मामले में कुवैत भारतीय वर्कफोर्स पर बहुत निर्भर है। इनकी डिमांड वहां काफी अधिक है। वर्ल्ड बैंक के डेटा के अनुसार GDP Per Capita के लिहाज से कुवैत दुनिया का 5वां सबसे अमीर देश है। कुवैत की GDP Per Capita 41,079.5 डॉलर (करीब 34.3 लाख रु) है।
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कितनी मिलती है अनस्किल्ड कामगारों की कुवैत में सैलरी
भारतीय राजदूतावास, कुवैत की वेबसाइट के मुताबिक अनस्किल्ड कामगारों की कुवैत में 100 कुवैती दीनार (केडी) मंथली फिक्स सैलरी है। 100 केडी भारतीय करेंसी में 27262 रु बनते हैं। अनस्किल्ड कामगारों में मजदूर, कार वॉशर, हेल्पर, क्लीनर, माली आदि शामिल हैं।
सेमी-स्किल्ड (नाई, कसाई, डिलीवरी बॉय, सिक्योरिटी गार्ड, स्टोरकीपर, हेवी इक्विपमेंट ऑपरेटर आदि) को 100 केडी (27262 रु) से 170 केडी (करीब 46350 रु) मिलते हैं।
स्किल्ड वर्कर्स की कुवैत में सैलरी
स्किल्ड (टेक्निकल और मैकेनिकल) कामगारों में डाई बनाने वाले, केबल जॉइंटर, एसी मैकेनिक, डीजल मैकेनिक और इलेक्ट्रिशियन शामिल हैं। इन्हें 120 केडी (32700 रु) से 220 केडी (60 हजार रु) तक मिलते हैं। वहीं जनरल कैटेगरी के स्किल्ड कामगारों को 115 केडी (31350 रु) से 200 केडी (54500 रु) तक मिलते हैं।
प्रोफेशनल्स की होती है कुवैत में सैलरी
होटल/कैटरिंग स्टाफ को 115-175 केडी (31350 रु से 47700 रु), ऑफिस स्टाफ को 115-200 केडी (31350 रु से 54350 रु) और प्रोफेशनल्स को 200 से 425 केडी (54530 रु से 1.22 लाख रु) तक मिलते हैं। इन प्रोफेशनल्स में इंजीनियर, मेडिकल डॉक्टर, सीए, सेफ्टी ऑफिसर और टीचर शामिल हैं।
भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बना हुआ है और इसकी संख्या दस लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है।
मिलती है बीमा पॉलिसी कुवैत में
भारत कुवैत में सभी भारतीय प्रवासी श्रमिकों को प्रवासी भारतीय बीमा पॉलिसी भी प्रोवाइड करता है, जिसमें आकस्मिक मृत्यु या स्थायी विकलांगता की स्थिति में 10 लाख रुपये का कवरेज दिया जाता है। साथ ही विवादों के मामले में कानूनी खर्च भी वहन किया जाता है।
बड़े पैमाने पर हुआ था भारतीयों का पलायन
कुवैत में भारतीय दूतावास की वेबसाइट के अनुसार, 1990-1991 के खाड़ी युद्ध का कुवैत में भारतीय समुदाय पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। इसके कारण भारतीय समुदाय के लोगों वहां से बड़े पैमाने पर चले गए।
हालांकि दूतावास का कहना है कि कुवैत को फिर से लिबरेशन मिलने के बाद, भारतीय समुदाय के ज्यादातर सदस्य धीरे-धीरे वापस लौट आए। युद्ध से पहले कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय फिलिस्तीनियों का था, लेकिन युद्ध के बाद उनकी संख्या कम हो गई और धीरे-धीरे कुवैत में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा हो गया।
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