ड्राइवर का लाइसेंस एक्सपायर होने पर भी बीमा कंपनी व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने का जिम्मेदार: कोर्ट
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि बीमा कंपनी हादसे के शिकार व्यक्ति के परिवार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होती है, भले ही दुर्घटना में शामिल ड्राइवर के लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी हो और इसका रीन्यूअल नहीं हुआ हो क्योंकि लाइसेंस की वैलिडिटी खत्म हो जाने से वह अकुशल ड्राइवर नहीं बन जाता।
लाइसेंस की वैलिडिटी खत्म हो जाने से वह अकुशल ड्राइवर नहीं बन जाता
गाड़ी के मालिक से मुआवजे की राशि वसूल सकती है बीमा कंपनी
अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी मुआवजे की राशि दुर्घटना में शामिल वाहन के मालिक से बाद में वसूल सकती है। अदालत महिला के परिवार की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती की गई थी। इस आदेश में बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने से छूट दी गई थी क्योंकि दुर्घटना में शामिल वाहन के चालक का ड्राइविंग लाइसेंस समाप्त हो गया था। न्यायाधिकरण ने ट्रक के मालिक को मुआवजा देने के निर्देश दिए थे।
साल 2011 में हुई थी आशा की मौत
महिला आशा बाविस्कर नवंबर 2011 में मोटरसाइकिल पर पीछे बैठ कर पुणे में हदपसर की ओर जा रही थी तभी तेज रफ्तार से जा रहे एक ट्रक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। आशा जमीन पर गिर गईं और उनकी मौत हो गई। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ दुर्घटना के वक्त चालक का लाइसेंस रीन्यू नहीं था। इसका ये मतलब नहीं है कि वह कुशल चालक नहीं है।’’
ट्रक ने मोटरसाइकिल को मारी थी टक्कर
अदालत ने कहा कि मोटरसाइकिल को ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिससे आशा की मौत हो गई। अदालत के अनुसार, घटना के दौरान ट्रक का बीमा कंपनी से बीमा था इसलिए अनुबंध के अनुसार, मुआवजा देना बीमा कंपनी की जिम्मेदारी बनती है। आगे अदालत ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि अगर किसी वाहन से दुर्घटना हुई है और अगर उसके चालक के पास दुर्घटना के समय प्रभावी तथा वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो पहले बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा और बाद में वह मुआवजा वाहन के मालिक से वसूला जाए।
मृतक के परिवार को 6 हफ्ते के अंदर मुआवजा देने का आदेश
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि न्यायाधिकरण ने इस पर विचार नहीं किया और दावे को खारिज करते हुए आदेश दे दिया। इसके साथ ही अदालत ने बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को छह सप्ताह के भीतर मुआवजा देने और यह राशि वाहन के मालिक से वसूलने का आदेश दिया। बीमा कंपनी ने याचिकाकर्ता की अपील का विरोध करते हुए दावा किया था कि याचिकाकर्ता दावेदारों को केवल मुआवजे का हक होता है, उन्हें यह नहीं देखना चाहिए कि मुआवजा कौन दे रहा है।
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