‘खाने से सजी थाली' जैसा चाहते है रिटायरमेंट, ये स्ट्रैटजी आएगी काम

Investmet Tips for Post-retirement income: जब भी कोई नौकरी या कामकाज शुरू करता है, तो उसे उसी समय से सेवानिवृत्ति आय और पेंशन के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए और इसके लिए निवेश भी करना चाहिए।

लंबी अवधि तक निवेश करके ही ‘कम्पाउंडिंग’ (चक्रवृद्धि) का लाभ उठाकर सेवानिवृत्ति के लिये अच्छा कोष बनाया जा सकता है।

Investmet Tips for Post-retirement income: लोगों को पेंशन के लिये एक ‘स्वाभाविक पसंद’ विकसित करने की जरूरत है और सेवानिवृत्ति (Retirement) के बाद बेहतर जीवनयापन के लिये ‘खाने से सजी थाली’ की तरह विभिन्न स्रोतों से आय होनी जरूरी है। जब भी कोई नौकरी या कामकाज शुरू करता है, तो उसे उसी समय से सेवानिवृत्ति आय और पेंशन के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए और इसके लिए निवेश भी करना चाहिए। लंबी अवधि तक निवेश करके ही ‘कम्पाउंडिंग’ (चक्रवृद्धि) का लाभ उठाकर सेवानिवृत्ति के लिये अच्छा कोष बनाया जा सकता है। यह विचार पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन दीपक मोहंती ने व्यक्त किए हैं।

कब शुरू कर देना चाहिए निवेश?

पीएफआरडीए देश के नागरिकों के बीच पेंशन और सेवानिवृत्ति योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल एक अक्टूबर को एनपीएस दिवस के रूप में मनाता है। मोहंती ने वित्तीय नियोजन के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘नौकरी या कामकाज शुरू करते ही अपनी आय और पेंशन के बारे में सोचने से लंबी अवधि (तीस साल) तक निवेश करके ही आप सेवानिवृत्ति के लिये एक अच्छा कोष बना सकते हैं। क्योंकि तभी हमें कम्पाउंडिंग का लाभ मिलता है। कम्पाउंडिंग का सही लाभ 15 साल के बाद मिलना शुरू होता है और अगर आप 30 साल तक निवेश करते हैं, तो यकीन मानिए, आप एक अच्छी राशि प्राप्त करेंगे।’’

आय सोर्स का अलग-अलग होना क्यों जरूरी?

उन्होंने कहा, ‘‘लोग जब 40 साल या उससे ऊपर के होते हैं, तब पेंशन के बारे में सोचते हैं। लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है और जरूरत के मुताबिक कोष नहीं बन पाता है। ऐसा लोगों के बीच समुचित वित्तीय जानकारी के अभाव के कारण होता है।’’ मोहंती ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं, मेरे बैंक खाते में पैसा है, मेरे पास संपत्ति है। लेकिन मेरा मानना है कि पैसा हर जगह लगाना चाहिए। यह लोगों को समझना चाहिए कि सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित आय जरूरी है। वित्तीय नियोजन को खाने की थाली की तरह माना जा सकता है। किसी को चिकन अच्छा लगता है लेकिन अगर उसे केवल चिकन ही खाने को दिया जाए तो कैसा लगेगा। अगर थाली में चपाती, चावल, दाल, एक-दो सब्जी, सलाद आदि हो तो और भी अच्छा लगेगा। आपकी आय के स्रोत भी अलग-अलग होने चाहिए।

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