कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए IREDA के IPO को दी मंजूरी, जानें कब तक होगी लिस्टिंग

IREDA IPO: आईपीओ के माध्यम से, केंद्र आंशिक रूप से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचेगा। मार्च, 2022 में सरकार द्वारा 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के बाद इरेडा की पूंजी संरचना में बदलाव के कारण यह निर्णय लिया गया। सरकार ने कहा कि आईपीओ अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।

IREDA IPO Listing

IREDA IPO Listing: कंपनी वित्त वर्ष 2023-24 में शेयर बाजार में लिस्ट हो सकती है।

IREDA IPO Listing: कैबिनेट ने देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड यानी IRDEA के IPO को मंजूरी दी है। आईपीओ के माध्यम से, केंद्र आंशिक रूप से कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचेगा जिसे हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) का दर्जा दिया गया था।

शेयर बाजार में इस समय हो सकती है लिस्टिंग

CCEA यानी कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स ने IREDA के लिस्टिंग की मंजूरी दी है। ये कंपनी रिन्यूएबल एनर्जी और उससे संबंधित प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस करती है। ये कंपनी वित्त वर्ष 2023-24 में शेयर बाजार में लिस्ट हो सकती है। IREDA एक सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (CPSE) है जो मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE)के अंतर्गत आता है।

देश की आम जनता भी खरीद सकेगी हिस्सेदारी

लिस्टिंग प्रोसेस का काम DIPAM करेगा। इस आईपीओ के आने से सरकार के निवेश की वैल्यु खुलेगी। देश की आम जनता भी इसमें हिस्सेदारी खरीद पाएगी। लिस्टिंग होने के बाद कंपनी का गवर्नेंस बेहतर होगा और पारदर्शिता आएगी।

सीमा से अधिक हो सकेगा निवेश

कैबिनेट ने NTPC को लेकर भी निर्णय लिया है। जिसमें अब एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड में निर्धारित सीमा से ज्यादा निवेश करने के लिए महारत्न कंपनी NTPC को मंजूरी मिली है। वहीं NTPC ग्रीन एनर्जी लिमिटेड यानी NGEL अब NTPC रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड यानी NREL या अन्य सब्सिडियरी और ज्वाइंट वेंचर में भी ज्यादा निवेश कर पाएगी।

कोयले पर घटेगी निर्भरता

कंपनी का लक्ष्य साल 2032 तक रिन्यूएबल एनर्जी में क्षमता को 60 गीगावाट तक बढ़ाने का है। NTPC को एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड में निवेश की छूट मिलने से भारत की ग्रीन इकोनॉमी इमेज मजबूत हो सकेगी। रिन्यूएबल एनर्जी से कोयले पर निर्भरता घट पाएगी। देश का कोल इंपोर्ट भी कम होगा। इसके अलावा रोजगार के अवसर भी बढ़ पाएंगे।

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