अनंत अंबानी के खिलाफ करें वोट, जानें क्यों इंटरनेशनल फर्म ने Reliance शेयरधारकों को दी सलाह

Mukesh Ambani Son Anant Ambani: आईएसएसआई की चिंता अनंत अंबानी के अनुभव को लेकर है। फर्म के अनुसार उनका लगभग छह वर्षों का सीमित लीडरशिप/बोर्ड अनुभव, बोर्ड में उनके योगदान पर चिंता पैदा करता है।

Mukesh Ambani Son Anant Ambani

मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी हो सकते हैं बोर्ड में शामिल

मुख्य बातें
  • अनंत अंबानी के खिलाफ वोट करने की सलाह
  • आईएसएसआई ने दी रिलायंस शेयरधारकों को ये सलाह
  • अनुभव को लेकर जताई चिंता

Mukesh Ambani Son Anant Ambani: इंटरनेशनल प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इंस्टीट्यूशनल शेयरहोल्डर सर्विसेज इंक (Institutional Shareholder Services Inc) या आईएसएसआई ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के शेयरधारकों को सलाह दी है कि उन्हें अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी (Anant Ambani) को कंपनी के बोर्ड में नियुक्त करने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट करना चाहिए। रिलायंस अंबानी फैमिली के कंट्रोल वाली कंपनी है। आईएसएसआई ने मार्केट कैपिटल के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी कंपनी में उत्तराधिकार योजना को लेकर चिंताओं को जाहिर करते हुए शेयरधारकों से यह बात कही है।

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क्या है आईएसएसआई की चिंता

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार आईएसएसआई की चिंता अनंत अंबानी के अनुभव को लेकर है। फर्म के अनुसार उनका लगभग छह वर्षों का सीमित लीडरशिप/बोर्ड अनुभव, बोर्ड में उनके योगदान पर चिंता पैदा करता है।

हालांकि आईएसएसआई ने अनंत के बड़े भाई-बहनों, ईशा और आकाश अंबानी को बोर्ड में शामिल करने का सपोर्ट किया है।

एक और फर्म जता चुकी चिंता

आईएसएसआई की तरह ही मुंबई की इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज या आईआईएएस भी अनंत के अनुभव पर चिंता जता चुकी है। आईआईएएस ने भी ईशा और आकाश को चुनने के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

अनंत को मिला Glass Lewis का साथ

एक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रॉक्सी फर्म ग्लास लुईस अनंत की नियुक्ति के पक्ष में है। ग्लास लुईस के मुताबिक ईशा-आकाश समान अनुभव के साथ अनंत से सिर्फ तीन साल बड़े हैं। ग्लास लुईस के एशिया-पेसिफिक रिसर्च के डायरेक्टर डेकी विंडर्टो के मुताबिक वे अनुभव के आधार पर अनंत अंबानी को अन्य भाई-बहनों से अलग नहीं करते हैं। यानी उनके अनुसार तीनों का अनुभव एक जैसा है।

अंबानी परिवार के पास रिलायंस की 41% से अधिक हिस्सेदारी हैं, जो उन्हें सबसे बड़ा वोटिंग हिस्सेदार भी बनाती है।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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