Kargil Vijay Diwas: अगर न होते ये 10 हजार स्पेशल जूते, नहीं जीत पाते टाइगर हिल, इस शख्स ने पलट दी बाजी

Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल युद्ध के दौरान जब सेना चोटियों पर हमले की योजना बना रही थी तो उन्हें एक समस्या का सामना करना पड़ा, वो था चोटियों पर तेजी से चढ़ना। तेजी से चढ़ने की क्षमता के कारण कारगिल मिशन को पूरा करने के लिए गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों को बुलाया गया था।

Kargil Vijay Diwas 2023

कारगिल विजय दिवस की अनसुनी कहानी

मुख्य बातें
  • कानपुर की MKU ने कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
  • सेना के सामने आई थी बड़ी दिक्कत
  • सेना को दिए थे स्पेशल जूते
Kargil Vijay Diwas 2023: 1999 में जब कारगिल युद्ध (Kargil War) चरम पर था, तब भारतीय सेना (Indian Army) कई चोटियों को जीतने के लिए दिन-रात लड़ रही थी। उन चोटियों में टाइगर हिल (Tiger Hill) की सबसे कठिन लड़ाई भी शामिल थी। उस समय कानपुर की बहुत कम मशहूर कंपनी भी सेना को कारगिल युद्ध जीतने में मदद करने के लिए पूरी ताकत लगा रही थी।
हम सभी अपने सैनिकों की बहादुरी की कहानियाँ जानते हैं कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने कारगिल की चोटियों, खासकर टाइगर हिल को फतह किया। लेकिन अधिकतर लोग नहीं जानते होंगे कि वीरता और साहस की ये कहानियाँ कानपुर स्थित एक कंपनी के छोटे से योगदान के बिना संभव नहीं होतीं। ये कंपनी है एमकेयू (MKU)। कैसे एमकेयू ने की थी सेना की मदद, आगे जानिए दिलचस्प ऐतिहासिक कहानी।

सेना के सामने आई थी दिक्कत

कारगिल युद्ध के दौरान जब सेना चोटियों पर हमले की योजना बना रही थी तो उन्हें एक समस्या का सामना करना पड़ा, वो था चोटियों पर तेजी से चढ़ना। तेजी से चढ़ने की क्षमता के कारण कारगिल मिशन को पूरा करने के लिए गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों को बुलाया गया था।
लेकिन गोरखा पहाड़ों पर नहीं चढ़ सके क्योंकि उन्हें छोटे साइज के पहाड़ी जूतों की कमी का सामना करना पड़ रहा था। उस समय केवल 7, 8, 9 और उससे ऊपर के नंबर के बड़े साइज के जूतों का स्टॉक मौजूद था।

एमकेयू ने किया कमाल

कोई भी सप्लायर बहुत कम समय में ऑर्डर पूरा करने को तैयार नहीं था। तब एमकेयू को 10,000 पर्वतारोहण जूतों (Mountaineering Boots) का इमरजेंसी ऑर्डर मिला। ये खास जूते पहाड़ों पर चढ़ाई के काम आते हैं।

तीन कंपनियों ने किया इनकार

एमकेयू के एमडी नीरज गुप्ता ने 2017 में इकोनॉमिक टाइम्स को बताया था कि कानपुर की तीन अन्य कंपनियों ने ऑर्डर लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद हमें तत्काल आधार पर पर्वतारोहण जूते की सप्लाई करने का यह ऑर्डर मिला। कंपनी की 8,000 यूनिट्स मासिक क्षमता के बावजूद उसने 10,000 जूतों की आपूर्ति की।

दिन-रात किया काम

गुप्ता के अनुसार जैसे ही सैनिकों को युद्ध के मोर्चे पर ले जाया जा रहा था, हमने हमले की शुरुआत से पहले दिन-रात काम करके ऑर्डर पूरा किया। यह ऑर्डर हमारी कंपनी के लिए निर्णायक था और युद्ध के बाद सेना ने हमारे प्रयासों की बहुत सराहना की।

आज क्या बनाती है एमकेयू

कंपनी आज भी सैनिकों के लिए कई प्रोडक्ट बनाती है। इनमें स्मार्ट ऑप्ट्रोनिक प्रोडक्ट शामिल हैं। एमकेयू सैनिकों के लिए नाइट विजन और थर्मल वेपन साइट्स, मोनोकुलर, गोगल्स और हैंड-हेल्ड डिवाइसेज को डेवलप और मैन्युफैक्चरिंग करती है
सैनिकों को स्मार्ट सॉल्यूशंस से लैस करके कंपनी उन्हें आवश्यक सेफ्टी प्रदान करती है, जिसमें बैलिस्टिक हेलमेट, बॉडी आर्मर और बैलिस्टिक शील्ड और कंबल शामिल हैं। ये सारे स्मार्ट सॉल्यूशन अत्याधुनिक हैं क्योंकि ये टेक्नोसॉजी और इनोवेशन पर फोकस्ड हैं।

बनाती है इंटेलिजेंट आर्मर

एमकेयू वायु, जल और लैंड प्लेटफार्म्स के लिए इंटेलिजेंट आर्मर बनाती हैं। इसके ऑटो फ्लीट मैनेजमेंट सिस्टम कानून प्रवर्तन व्हीकल डेटा की निगरानी के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, टेलीमैटिक्स और ऑटोमेशन यूज करती है।
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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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