कभी 'नंदिनी' ने हिला दी थी सरकार,KMF का फैसला अब जेब पर पड़ेगी भारी

KMF Is Planning To Increase Nandini Milk Price: कर्नाटक सरकार दूध किसानों को 6 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती है।KMF देश का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है। और उसके दूध की कीमत दूसरे ब्रांड की मुकाबले कर्नाटक में 12-15 रुपये सस्ती हैं।

कर्नाटक मे नंदिनी बनाम अमूल बना था चुनावी मुद्दा

KMF Is Planning To Increase Nandini Milk Price: अभी दो महीने पहले तक नंदिनी दूध का मुद्धा पूरे देश में छाया हुआ था। ऐसा लगता था कि कर्नाटक में अगर अमूल की एंट्री हो गई तो वह नंदिनी ब्रांड को तबाह कर देगा। लेकिन विधानसभा चुनाव खत्म होते और सरकार बदलते पूरा मुद्धा खत्म हो गया है। और अब ऐसी खबरे हैं कि नंदिनी का दूध 5 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो जाएंगे। और इस बढ़ोतरी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में कोऑपरेटिव मिनिस्टर के.एन.राजन्ना कह रहे हैं कि हम सरकार में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए नहीं हैं। उनका कहना है कि जब लोग पानी के लिए पैसा दे सकते हैं तो दूध के लिए क्यों नहीं ? जाहिर है चुनाव खत्म होने के बाद महंगाई कोई मुद्दा रह नहीं जाता है।

नंदिनी दूध होगा महंगा

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने नंदिनी दूध की कीमतों में 5 रुपये बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। KMF देश का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है। और उसके दूध की कीमत दूसरे ब्रांड की मुकाबले कर्नाटक में 12-15 रुपये सस्ती हैं। इसके पहले नवंबर 2022 में भी दूध की कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे भाजपा की नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने खारिज कर दिया था। और 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की मंजूरी दी थी। कीमतों को देखा जाय तो नंदिनी के एक लीटर टोन्ड दूध की कीमत 39 रुपये प्रति लीटर है, जो कि देश में सबसे सस्ता है।

6 रुपये मिलती है सब्सिडी

ऐसे में सवाल उठता है कि जब देश में टोन्ड दूध 54 रुपये के करीब है तो नंदिनी का दूछ कैसे इतना सस्ता मिलता है। तो इसके पीछे की वजह कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को मिलने वाली सब्सिडी है। कर्नाटक सरकार दूध किसानों को 6 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती है। साल 2008 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस. येद्दियुरप्पा ने केएमएफ से जुड़े किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देने की फैसला किया था। इसके बाद 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने इसे बढ़ाकर पहले 4 रुपये लीटर, फिर 2016 में 5 रुपये लीटर कर दिया। जिसके एक बार फिर सत्ता में आने के बाद येद्दियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने 6 रुपये कर दिया । अब तत्कालीन मंत्री राजन्ना किसानों के हितों की बात करते हुए उपभोक्ता को दरकिनार कर रहे हैं।

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