गोल्ड हॉलमार्किंग है जरूरी, लेकिन चांदी का क्या? जानें नियम, चार्ज और सभी डिटेल

Silver Jewellery Hallmarking: 990 ग्रेड की चांदी 99 फीसदी शुद्ध होती है, 970 ग्रोड की 97 फीसदी, 925 ग्रेड की 92.5 फीसदी, 900 ग्रेड की 90 फीसदी, 835 ग्रेड की 83.5 फीसदी और 800 ग्रेड की चांदी 80 फीसदी शुद्ध होती है।

गोल्ड हॉलमार्किंग है जरूरी, लेकिन चांदी का क्या?

मुख्य बातें
  • सोने की तरह हॉलमार्क वाली चांदी के लिए अतिरिक्त शुल्क लगता है।
  • ज्वैलर आपसे 18% जीएसची के साथ 35 रुपये प्रति वस्तु मांग सकता है।
  • हॉलमार्क वाले आभूषण की शिकायत आप BIS से कर सकते हैं।

नई दिल्ली। त्योहारी सीजन में सोने और चांदी के आभूषणों की मांग बढ़ जाती है। दिवाली (Diwali) और धनतेरस (Dhanteras) के समय में इन कीमती धातुओं को खरीदना शुभ माना जाता है। हाल ही में शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए अधिसूचित जिलों में सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) अनिवार्य कर दी गई थी। 1 जून 2022 से ज्वैलर्स सिर्फ हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों को ही बेच सकते हैं, लेकिन चांदी का क्या?

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क्या चांदी की ज्वैलरी के लिए भी जरूरी है हॉलमार्किंग?

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भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के नियमों के अनुसार, ज्वैलर्स के लिए चांदी के आभूषण और सिक्कों को बेचने से पहले उन्हें हॉलमार्क करवाना अनिवार्य नहीं है। हालांकि चांदी के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं है, फिर भी ज्वैलर्स अपनी इच्छा से इसे करवा सकते हैं। सरकार ने स्वैच्छिक चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग के लिए कुछ गुणवत्ता मानक जारी किए हैं। बीआईएस के अनुसार, 'सिल्वर हॉलमार्किंग आईएस 2112: 2014 पर भारतीय मानक सिल्वर अलॉय के छह ग्रेड, अर्थात 990, 970, 925, 900, 835 और 800 को निर्दिष्ट करता है। इनका इस्तेमाल चांदी के आभूषण या कलाकृतियों के निर्माण में किया जाता है।'

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