उद्योग नगरी से कोचिंग सिटी और अब सुसाइड सिटी, जानें कोटा कैसे हो गया 'फेल'

Kota Suicide Cases And City History: भले ही आज कोटा की पहचान एक कोचिंग सेंटर के रूप में है। लेकिन एक समय उद्योग नगरी के रूप में जाना जाता था। और उसे भारत का दूसरा कानपुर कहा जाता था। लेकिन अब वह पहचान मिट गई है, और अब वह कोचिंग के गढ़ के रूप में पूरे देश में जाना जाता है।

कोटा में 6000 करोड़ का कोचिंग बाजार

Kota Suicide Cases And Its History: कोटा शहर की पहचान एक ऐसे 14 साल के बच्चे से शुरू हुई, जो आज से करीब 500 साल पहले महान योद्धा था। और उसके युद्ध कौशल की वजह से बूंदी के राजा ने अपने छोटे राजकुमार राव माधो सिंह को कोटा शहर गिफ्ट के रूप में दिया था। लेकिन विडंबना यह है कि आज वहीं कोटा शहर बच्चों की मौतों के लिए चर्चा में है। और यह मौतें कोई हादसा या बीमारी की वजह से नहीं हो रही हैं, बल्कि देश के कोने-कोने से अपने मां-बाप के सपने पूरा करने आए बच्चों के आत्महत्या करने से हो रही हैं।
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ये वो बच्चे हैं जिन्हें IIT, मेडिकल और दूसरी प्रतिष्ठित परीक्षाओं में सफल होने के प्रेशर को मैनेज करने से ज्यादा आसान, मौत को गले लगाना लगा। सबसे अहम बात यह है कि भले ही कोटा में मां-बाप के चिराग बुझ रहे हैं, लेकिन कभी उद्योग नगरी के रूप में प्रसिद्ध कोटा अब 6000 करोड़ रुपये की कोचिंग सिटी के रूप में एक नया बाजार बन गया है। और हर साल करीब 2 लाख बच्चों इस बाजार में कस्टमर बनकर पहुंच रहे हैं।
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