फिनटेक कंपनियों में KYC का झोल, RBI का बढ़ता शिकंजा
Fintech KYC Scam: फिनटेक कंपनियों में KYC को लेकर गड़बड़ियां पाई गई हैं। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिनटेक फर्मों की निगरानी बढ़ा दिया है।



फिनटेक कंपनियों पर आरबीआई ने जांच का दायरा बढ़ाया
Fintech KYC Scam: भारत का फाइनेंशियल रेगुलेटर प्रमुख बिजनेस सेक्टर के रेगुलेशन के लिए फिनटेक फर्मों की निगरानी बढ़ा दिया है। एनालिस्ट्स को हायर करने से लेकर कस्टमर डेटा की स्कूटनी करने के लिए अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें हो रही है। नियमों के उल्लंघन को लेकर फिनटेक कंपनी पेटीएम पर कार्रवाई के बाद वीजा को भी बिजनेस-टू-बिजनेस कार्ड भुगतान को रोकने का आदेश दिया गया। रॉयटर के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ये कदम पिछले साल नियमित निरीक्षण के बाद उठाए हैं। जिसमें पाया गया कि कई फिनटेक कंपनियां कस्टमर्स संबंधी नियमों यानी KYC का पालन करने में ढिलाई बरत रही हैं।
पेटीएम के बाद वीजा पर भी हुई कार्रवाई
फिनटेक फर्मों और उनके निवेशकों को पिछले महीने उस सख्त अप्रोच का पूर्वाभास हुआ था जब आरबीआई ने इस सेक्टर की दिग्गज कंपनी पेटीएम को नियमों के लगातार गैर-अनुपालन के कारण बैंकिंग यूनिट (पेटीएम पेमेंट्स बैंक) को बंद करने का आदेश दिया था। इस निर्देश के बाद इस सेक्टर में बेचैनी पैदा हो गई। इस महीने वीजा (वी.एन.) को एक अलग आदेश दिया गया। जिसमें थर्ड पार्टी फिनटेक फर्मों के जरिये बिजनेस-टू-बिजनेस कार्ड भुगतान को रोकने के लिए कहा गया।
फाइनेंशियल सिस्टम के साथ फिनटेक के संबंधों को हो रही है जांच
आरबीआई के कदम चीन समेत अन्य प्रमुख बाजारों में वित्तीय रेगुलेटर्स द्वारा नियमों के उल्लंघन पर रोक लगाने और लंबे समय तक अहस्तक्षेप अप्रोच अपनाने के बाद फिनटेक सेक्टर के लिए नए नियम बनाने के तौर पर सामने आए हैं। विश्व स्तर पर फिनटेक कंपनियां भुगतान से लेकर छोटे लोन और जमा तक कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करती हैं। और जैसे-जैसे उनका आर्थिक प्रभाव बढ़ता है, रेगुलेटर व्यापक वित्तीय फाइनेंशियल सिस्टम के साथ उनके संबंधों की जांच तेज कर रहे हैं।
मोनोपॉली, डेटा प्राइवेसी, मनी लॉन्ड्रिंग को कम करने की कोशिश
भारत की तरह तेज-तर्रार फिनटेक फर्मों की कस्टमर्स से जुडे़ काम यानी KYC और डेटा हेंडलिंग प्रक्रियाओं ने भी वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों और रेगुलेटर्स के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं क्योंकि वे मोनोपॉली, डेटा प्राइवेसी, मनी लॉन्ड्रिंग और स्पिलओवर रिस्क को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय बैंक की सोच से परिचित सूत्रों में से एक ने कहा कि आरबीआई बहुत स्पष्ट है कि चाहे आप "वित्तीय या टेक या फिनटेक" हों कस्टमर पहचान और फंड फ्लो के स्पष्ट फूटप्रिंट को नियंत्रित करने वाले बुनियादी नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
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