UN Report On Labour:एशिया-प्रशांत क्षेत्र के श्रमिकों की घटी क्रय क्षमता, 7 करोड़ की रोजाना इनकम केवल 200 रु से भी कम
UN Report On Labour: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगभग 7.3 करोड़ मजदूर बेहद गरीबी में रह रहे थे और क्रयशक्ति के लिहाज से उनकी प्रति व्यक्ति दैनिक आय 2.15 डॉलर से कम थी।
यूएन श्रमिक रिपोर्ट
UN Report On Labour:एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और उम्रदराज होती आबादी के बीच देशों को अपने कामगारों की आमदनी बढ़ाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के अनुसार उत्पादकता में वृद्धि की दर धीमी होने से आय पर असर पड़ रहा है और इस क्षेत्र के दो अरब श्रमिकों की क्रय शक्ति घट गई है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के तीन में से दो श्रमिक दिहाड़ी मजदूरी जैसे असंगठित रोजगार में लगे हुए थे। इस तरह उन्हें संगठित क्षेत्र की नौकरियों से मिलने वाली सुरक्षा नहीं मिली थी। मंगलवार को जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लोग अभी भी अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों की तुलना में अधिक समय तक काम करते हैं। वे औसतन प्रति सप्ताह 44 घंटे काम करते हैं। पिछले साल क्षेत्र में लगभग 7.3 करोड़ मजदूर बेहद गरीबी में रह रहे थे और क्रयशक्ति के लिहाज से उनकी प्रति व्यक्ति दैनिक आय 2.15 डॉलर से कम थी।
कितनी है श्रमिकों की इनकम
श्रम उत्पादकता 2004-2021 के दौरान 4.3 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी जिससे क्रय शक्ति समानता के संदर्भ में प्रति श्रमिक आय बढ़ाने में मदद मिली। इस दौरान प्रति व्यक्ति आय 7,700 डॉलर से बढ़कर 15,700 डॉलर हो गई। लेकिन पिछले दशक में इस दर के धीमी होने से संपन्नता की तरफ नहीं बढ़ पा रहे हैं। आईएलओ की रिपोर्ट स्कूल न जाने वाले युवाओं के बीच बेरोजगारी को खासी चुनौतीपूर्ण बताती है। यह वयस्कों की बेरोजगारी दर से तिगुना अधिक 13.7 प्रतिशत है।रिपोर्ट कहती है कि कृत्रिम मेधा (AI) और अन्य स्वचालन प्रौद्योगिकियों के बढ़ते चलन से कुछ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। खासतौर पर लिपिकीय कार्यों एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं पर सबसे अधिक असर पड़ने की आशंका है। इ्सकी वजह यह है कि कंपनियां भारत और फिलिपीन जैसे देशों में स्थित कॉल सेंटर पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं।
उम्र दराज हो रहे हैं श्रमिक
रिपोर्ट के मुताबिक,अच्छी आय सहित बेहतर कामकाजी मानदंडों को पूरा करने वाली नौकरी के अवसरों की कमी न केवल इस क्षेत्र में सामाजिक न्याय को खतरे में डालती है बल्कि यह श्रम बाजार के लिहाज से भी जोखिम पैदा करती है।रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और 15-64 वर्ष की आयु के लोगों का अनुपात वर्ष 2050 तक दोगुना होकर लगभग एक-तिहाई होने का अनुमान है जबकि 2023 में यह लगभग 15 प्रतिशत था।आईएलओ का कहना है कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लोग अभी भी अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों की तुलना में अधिक समय तक काम करते हैं। वे औसतन प्रति सप्ताह 44 घंटे काम करते हैं जो वर्ष 2005 के 47 घंटे से थोड़ा ही कम है।पिछले साल क्षेत्र में लगभग 7.3 करोड़ मजदूर बेहद गरीबी में रह रहे थे और क्रयशक्ति के लिहाज से उनकी प्रति व्यक्ति दैनिक आय 2.15 डॉलर से कम थी।
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