दूध का उत्पादन नहीं बढ़ा तो मक्खन, घी जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर विचार करेगा भारत, पढ़ें डिटेल्स

Dairy Products Import: पिछले वित्त वर्ष देश में दूध के उत्पादन में एक ठहराव देखने को मिला, जिसकी वजह से दूध से बनने वाले प्रोडक्ट्स की सप्लाई प्र्भावित हुई। दूध के मौजूदा उत्पादन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बुधवार को कहा कि जरूरत पड़ी तो डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर विचार किया जाएगा।

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Dairy Products Import: पिछले साल दूध के उत्पादन में ठहराव, सरकार ने कहा कि जरूरत पड़ी तो दुग्ध उत्पादन का होगा आयात

तस्वीर साभार : भाषा
Dairy Products Import: देश जरूरत पड़ने पर डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार कर सकता है क्योंकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में दूध उत्पादन प्रभावित रहने से डेयरी प्रोडक्ट्स की सप्लाई भी प्रभावित हुई। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात करने के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का चरम समय शुरू हो गया है।

मवेशियों की बीमारी की वजह से प्रभावित हुआ दूध का उत्पादन

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में दूध उत्पादन वर्ष 2021-22 में 22.1 करोड़ टन रहा, जो इससे पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 प्रतिशत अधिक था। पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में देश के दुग्ध उत्पादन प्रभावित रहा, जबकि महामारी के बाद की मांग में उछाल के कारण इसी अवधि में घरेलू मांग में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
राजेश कुमार सिंह ने कहा, ‘देश में दूध की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है … स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त भंडार है। लेकिन डेयरी उत्पादों, विशेष रूप से वसा, मक्खन और घी आदि के मामले में पिछले वर्ष के मुकाबले स्टॉक कम है।’’ उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि आवश्यक हो, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात में हस्तक्षेप करेगी। हालांकि, सिंह ने पाया कि आयात इस समय लाभकारी नहीं हो सकता है क्योंकि हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतें मजबूत बनी हुई हैं।

पिछले साल त्वचा रोग की वजह से हुई 1.89 लाख मवेशियों की मौत

उन्होंने कहा, ‘‘अगर वैश्विक कीमतें ऊंची हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं है। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन का आकलन करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में यह कमी कम रहेगी, जहां पिछले 20 दिन में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट के साथ स्थिति अनुकूल हुई है। सचिव के अनुसार, पिछले साल गांठदार त्वचा रोग के प्रभाव की वजह से 1.89 लाख मवेशियों की मौत और दूध की मांग में महामारी के बाद के उछाल के कारण देश का दूध उत्पादन स्थिर रहा।

चारा महंगा होने से बढ़ी दूध की कीमतें

सिंह ने कहा, ‘मवेशियों पर गांठदार त्वचा रोग का प्रभाव इस हद तक महसूस किया जा सकता है कि कुल दूध उत्पादन में थोड़ा ठहराव रहा। आमतौर पर दूध उत्पादन सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। हालांकि, इस साल (2022-23) यह कम होगा। या तो स्थिर रहे या 1-2 प्रतिशत की दर से बढ़े।’ सिंह ने कहा कि चूंकि सरकार सहकारी क्षेत्र के दूध उत्पादन के आंकड़ों को ध्यान में रखती है, न कि पूरे निजी और असंगठित क्षेत्र का, इस कारण ‘‘हम मानते हैं कि दूध उत्पादन में ठहराव रहेगा।’’
उन्होंने कहा कि सही मायने में चारे की कीमतों में जो वृद्धि हुई है उसके कारण दूध की महंगाई बढ़ी है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है क्योंकि पिछले चार वर्षों में चारे की फसल का रकबा भी स्थिर रहा है, जबकि डेयरी क्षेत्र सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत ने आखिरी बार वर्ष 2011 में डेयरी उत्पादों का आयात किया था।
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