LIC में लगा दिया पैसा,लेकिन 99 फीसदी नहीं जानते बोनस-मनी बैक-एन्युइटी का मतलब

LIC Policy and Meaning of Bonus, Annuity :एजेंट कस्टमर को पॉलिसी देते समय कई सारे लुभावने ऑफर्स देते हैं। जिसमें वह ग्राहकों को कई ऐसे शब्दों के बारे में बताते हैं, जो आम तौर पर लोगों को कम ही पता होता है। इसमें वह मनी बैक, बोनस, एन्युइटी , ग्रेस पीरियड, एनडॉउमेंट प्लान आदि शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं।

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बीमा पॉलिसी में बोनस, एन्युइटी , सरेंडर वैल्यू का क्या है मतलब

LIC Policy and Meaning of Bonus, Annuity : देश में बीमा का मतलब अभी भी LIC ही माना जाता है। करोड़ों ग्राहकों ने एलआईसी की पॉलिसी ले रखी है। ज्यादातर पॉलिसी एजेंट के जरिए ही बेची जाती है। और एजेंट कस्टमर को पॉलिसी देते समय कई सारे लुभावने ऑफर्स देते हैं। जिसमें वह ग्राहकों को कई ऐसे शब्दों के बारे में बताते हैं, जो आम तौर पर लोगों को कम ही पता होता है। इसमें वह मनी बैक, बोनस, एन्युइटी , ग्रेस पीरियड, एनडॉउमेंट प्लान आदि शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। आम तौर पर 99 फीसदी पॉलिसीधारक इन शब्दों से अनजान होते हैं। ऐसे में आपके लिए बेहद जरूरी है कि इन तकनीकी शब्दों के बारे में जानें, जिससे पॉलिसी लेते वक्त उसके बारें में सही जानकारी मिल सके और आप सही फैसला ले सकें...

एन्युइटी (Annuity )

इस प्लान के तहत पॉलिसीधारक तय समय पर एक निश्चित रकम मिलती रहती है। इसके तहत इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसीधारक को तिमाही, छमाही, सालाना आधार पर एक फिक्स रकम रिटर्न के रुप में देती रहती है। आम तौर पर इस तरह के प्लान का रिटायरमेंट फंड के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।

असाइनमेंट (Assignment)

यह एक तरह से पॉलिसी के अधिकार और फायदे को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया है। इसमें एक व्यक्ति अपने अधिकार और फायदे को दूसरे व्यक्ति को कानून रुप से ट्रांसफर करता है।

बोनस (Bonus)

यह शब्द सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसके तहत लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में सम एश्योर्ड राशि के अलावा अतिरिक्त रकम दी जाती है। जो कि बोनस कहलाती है। हालांकि बोनस का लाभ हर पॉलिसी पर नहीं मिलता है।

मनी बैक (Money Back)

कई पॉलिसी ऐसी होती हैं, जिसमें मनी बैक का प्रावधान होता है। यानी पॉलिसीधारक को एक फिक्स अवधि के बाद मनी बैक के रुप में एक तय राशि मिलती रहती है। आम तौर पर यह राशि फिक्स होती है। और बीमा कंपनियां 4 साल, 8 साल के अंतराल पर राशि देती हैं।

सरेंडर वैल्यू (Surrender Value)

जब कोई पॉलिसीधारक तय समय से पहले पॉलिसी को सरेंडर करना चाहता है। तो उस वक्त उसे जो राशि वापस मिलती है, वह सरेंडर वैल्यू होती है। आम तौर पर ऐसी स्थिति में बोनस का लाभ नहीं मिलता है।

ग्रेस पीरियड (Grace Period)

हर पॉलिसी के प्रीमियम पेमेंट की एक आखिरी तारीख होते हैं। उसके बाद भी बीमा कंपनियां पॉलिसी को एक्टिव रहती हैं। इसके तहत एक तय समय तक बिना पेनॉल्टी के पॉलिसी प्रीमियम देने का वक्त पॉलिसीधारक को मिलता है। इस अवधि को ग्रेस पीरियड कहा जाता है।

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