Living Wage: न्यूनतम वेतन की जगह लेगा जीवनयापन वेतन ! 50 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों का बढ़ेगा मेहनताना
Living Wage: भारत में 50 करोड़ से अधिक श्रमिक हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जहां कई लोग दैनिक न्यूनतम वेतन (दिहाड़ी) 176 रु या अधिक पर काम करते हैं। दैनिक न्यूनतम वेतन उस राज्य पर निर्भर करता है जहां वे काम करते हैं।
न्यूनतम वेतन की जगह लागू होगा जीवनयापन वेतन
- न्यूनतम वेतन की जगह लेगा जीवनयापन वेतन
- करोड़ों श्रमिकों को होगा फायदा
- श्रमिकों का बढ़ेगा मेहनताना
Living Wage: केंद्र सरकार भारत में 2025 तक न्यूनतम वेतन (Minimum Wage) की जगह जीवनयापन वेतन (Living Wage) को लागू कर सकती है। इसके आकलन और लागू करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से तकनीकी सहायता मांगी गयी है। जीवनयापन वेतन के तहत सभी श्रमिकों को अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने जितना पैसा मिलेगा, जिनमें आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़े शामिल हैं। जीवनयापन वेतन न्यूनतम वेतन से अधिक होगा। इस महीने की शुरुआत में आईएलओ ने भी लिविंग वेज का समर्थन किया है। भारत 1922 से ILO का संस्थापक सदस्य और इसकी गवर्निंग बॉडी का स्थायी सदस्य रहा है।
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अभी क्या हैं नियम
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक हम एक साल में न्यूनतम मजदूरी से आगे बढ़ सकते हैं। भारत में 50 करोड़ से अधिक श्रमिक हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जहां कई लोग दैनिक न्यूनतम वेतन (दिहाड़ी) 176 रु या अधिक पर काम करते हैं।
दैनिक न्यूनतम वेतन उस राज्य पर निर्भर करता है जहां वे काम करते हैं। हालाँकि यह राष्ट्रीय वेतन स्तर (जिसे 2017 से संशोधित नहीं किया गया है) राज्यों पर बाध्यकारी नहीं है और इसलिए कुछ राज्य इससे भी कम भुगतान करते हैं।
नहीं लागू हुआ 2019 का नियम
वेतन संहिता, 2019 में पारित हुई लेकिन अभी तक लागू नहीं हुई है। इसमें एक ऐसी वेतन सीमा (Wage Floor) का प्रस्ताव किया गया है जो लागू होने के बाद सभी राज्यों पर बाध्यकारी होगी। सरकार 2030 तक सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर रही है और ऐसा विचार है कि न्यूनतम वेतन को जीवनयापन वेतन के साथ बदलने से भारत के लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के प्रयासों में तेजी आ सकती है।
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