Minimum Wage: मोदी सरकार चुनाव से पहले गरीबों को देगी सौगात, बढ़ सकती है अनिवार्य न्यूनतम मजदूरी
Minimum Wage: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार देश भर में अधिकतम अनिवार्य न्यूनतम मजदूरी रेट तय कर सकती है। इसको लेकर बनी कमिटी जल्द रिपोर्ट सौंपने जा रही है।
देश भर में बढ़ेगी न्यूनतम मजदूरी
Minimum Wage: सरकार लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश भर में अधिकतम अनिवार्य न्यूनतम मजदूरी दर तय कर सकती है। एसपी मुखर्जी की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमिटी 2021 में गठित की गई थी। रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था। जिसकी समय सीमा जून 2024 तक पूरा हो रही है। उम्मीद है यह रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपी जा सकती है। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-मई के दौरान होने वाले चुनावों से पहले अनिवार्य न्यूनतम मजदूरी को नोटिफाई किया जा सकता है। रिपोर्ट कुल मिलाकर तैयार है और उम्मीद है कि कमिटी अंतिम दौर की बैठक के बाद इसे जल्द ही जमा कर देगी।
वर्तमान में न्यूनतम 176 रुपए प्रति दिन
देश में करीब 500 मिलियन श्रमिक (मजदूर) हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में हैं। फ्लोर वेज यानी दिहाड़ी जो वर्तमान में न्यूनतम 176 रुपए प्रति दिन है। आखिरी बार 2017 में संशोधित किया गया था और यह राज्यों के लिए वैधानिक नहीं है। ऐसा महसूस किया गया है कि जीवन यापन की लागत और मंहगाई दर में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण संशोधन जरूरी है और नया न्यूनतम वेतन सभी राज्यों में अनिवार्य होगा क्योंकि वेतन संहिता 2019, केंद्र सरकार को न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार देता है। अधिकारियों ने कहा कि किसी कर्मचारी के न्यूनतम जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया।
कमिटी ने की थी 375 रुपए की न्यूनतम मजदूरी की सिफारिश
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक अनूप सत्पथी की अध्यक्षता वाली कमिटी ने 2019 में प्रति दिन 375 रुपए का फ्लोर वेज प्रस्तावित किया था लेकिन इसे सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि सरकार समेत नियोक्ताओं के लिए वित्तीय मजबूरी थी क्योंकि यह मौजूदा फ्लोर वेज से 100% अधिक था। नियोक्ता निकाय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि जैसा कि सत्पथी समिति ने सिफारिश की है। मौजूदा 176 रुपए प्रति दिन और 375 रुपए प्रति दिन के बीच संतुलन होना चाहिए।
महंगाई के हिसाब से तय होगी न्यूनतम मजदूरी
अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा कमिटी से केंद्र और राज्य सरकारों समेत नियोक्ताओं पर न्यूनतम वित्तीय प्रभाव के लिए एक संतुलित वेतन पर पहुंचने की उम्मीद है। कमिटी महंगाई दर और घरेलू व्यय लागत को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन तय कर सकती है। अधिकारियों ने कहा कि न्यूनतम वेतन तय करने के लिए पोषण संबंधी जरुरतों और गैर-खाद्य व्यय को ध्यान में रखा गया है।
अलग भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अलग न्यूनतम मजदूरी
वेतन संहिता, 2019 के मुताबिक सरकार अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अलग-अलग न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती है लेकिन उपयुक्त सरकार (राज्यों या केंद्र) द्वारा निर्धारित मजदूरी की न्यूनतम दरें इससे अधिक होने पर यह मजदूरी कम करने की अनुमति नहीं देती है। मौजूदा फ्लोर वेज वर्तमान में कुछ राज्यों ने अपना दैनिक वेतन फ्लोर रेट 176 रुपए प्रति दिन से कम निर्धारित किया है जबकि कुछ अन्य ने इससे अधिक फ्लोर रेट निर्धारित किया है। राज्यों के बीच न्यूनतम मजदूरी में यह अंतर देश के भीतर प्रवासी मजदूरों के मूवमेंट में बड़ी भूमिका निभाता है।
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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