Aviation Sector: अमीरात, लुफ्थांसा समेत कई एयरलाइंस को मिला GST नोटिस, बकाया है 10000 करोड़ का टैक्स

GST Notice To Airlines: ये एयरलाइंस संबंधित व्यक्ति द्वारा सर्विसेज के आयात की सप्लाई के वैल्यूएशन पर 26 जून के सर्कुलर के दायरे में नहीं आती हैं, जिसके तहत सर्विस प्राप्त करने वाला फुल इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्र होता है।

GST Notice To Airlines

कई एयरलाइंस को जीएसटी नोटिस

मुख्य बातें
  • कई एयरलाइंस को मिला जीएसटी नोटिस
  • 10000 करोड़ के टैक्स का है मामला
  • बीते 3 दिन में भेजे गए नोटिस

GST Notice To Airlines: गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGCI) ने देश में कारोबार कर रही 10 विदेशी एयरलाइनों को 10,000 करोड़ रुपये का टैक्स न चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस (Showcause Notices) भेजा है। इनमें ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा, ओमान एयर, अमीरात और सिंगापुर एयरलाइंस शामिल हैं। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अधिकारियों के मुताबिक पिछले तीन दिनों में भेजे गए नोटिस इन एयरलाइंस की भारतीय यूनिट्स पर बकाया टैक्स से जुड़े हैं। नोटिस के अनुसार इन एयरलाइंस के हेड ऑफिसेज से सर्विसेज के इम्पोर्ट पर टैक्स बकाया है।

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क्या है नियम

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि ये एयरलाइंस संबंधित व्यक्ति द्वारा सर्विसेज के आयात की सप्लाई के वैल्यूएशन पर 26 जून के सर्कुलर के दायरे में नहीं आती हैं, जिसके तहत सर्विस प्राप्त करने वाला फुल इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्र होता है।

क्यों इन एयरलाइंस को नहीं मिलेगी छूट

अधिकारी ने कहा कि एयरलाइंस छूट वाली और बिना छूट वाली दोनों तरह की सर्विसेज में काम करती हैं और यही बात उन्हें 26 जून के सर्कुलर के तहत अयोग्य बनाती है। डीजीजीआई ने पहले एयरलाइंस से छूट वाली और गैर-छूट वाली सेवाओं की अलग-अलग सूची मांगी थी।

10 में से केवल चार एयरलाइनों ने लिस्ट दी और बाकी सभी स्पष्टीकरण देने में विफल रहीं। ये कारण बताओ नोटिस जुलाई 2017 से लेकर मार्च 2024 तक की अवधि के लिए हैं, जब जीएसटी लागू किया गया था।

कौन सी सेवाएं मिल रही थीं

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन एयरलाइंस के विदेशी हेडक्वार्टर एयरक्राफ्ट मैंटेनेंस के साथ-साथ क्रू और किराये के भुगतान जैसी सेवाएं दे रहे थे। डीजीजीआई का कहना है कि ये सर्विसेज एक लीगल एंटिटी से दूसरी यूनिट को दी जाती हैं, और इसलिए ये जीएसटी के दायरे में हैं, जिसका भुगतान एयरलाइनों ने नहीं किया है।

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काशिद हुसैन author

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