सस्ती हो सकती हैं Vitamin A और Vitamin C समेत कई जरूरी दवाएं ! मरीजों को मिलेगी राहत
एनपीपीए कई जरूरी दवाओं की कीमतों की प्राइसिंग कर सकता है। ये फैसला अनिलिटेड टाइम पीरियड के लिए लिया ज सकता है। इससे कई दवाओं के रेट घटेंगे।
कई जरूरी दवाएं हो सकती हैं सस्ती
- जरूरी दवाएं हो सकती हैं सस्ती
- एनपीपीए उठाने जा रहा जरूरी कदम
- मरीजों को मिलेगी राहत
Vital Health Supplements Price : दवाओं की कीमतें तय करने वाला रेगुलेटर नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी या एनपीपीए (NPPA) विटामिन ए (Vitamin A), विटामिन सी (Vitamin C), ग्लिसरीन (Glycerine) और एंटी-टेटनस इम्युनोग्लोबुलिन (Anti-Tetanus Immunoglobulin) जैसी महत्वपूर्ण दवाओं की कीमतों की लिमिट तय करने पर विचार कर रहा है। ऐसा कंपनियों द्वारा की जा रही मुनाफाखोरी रोकने के लिए किया जाएगा।
किफायती बनेंगी दवाएं
एनपीपीए (NPPA) ने ड्रग्स प्राइसेज कंट्रोल ऑर्डर (डीपीसीओ) 2013 के पैरा 19 के तहत जनहित में असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मरीजों के लिए इन दवाओं को अधिक किफायती बनाने का प्रस्ताव रखा है। एनपीपीए का ये ऑर्डर अनिश्चित समय तक के लिए हो सकता है।
दवा की कीमतें गरीबों के लिए मुसीबत
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एनीपीपीए की बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि कुछ मामलों में पैरा 19 को अनिश्चित समय तक के लिए दवाओं को सस्ती बनाने के लिए लागू किया जाएगा।
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि भारत फार्मेसी की दुनिया है, मगर इसके बावजूद यहां दवाओं पर होने वाला खर्च परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे धकेलने का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए, इस तरह के प्रावधानों (प्राइसिंग करना) का उपयोग करने की आवश्यकता है।
बड़ी दवा कंपनियों पर पड़ेगा असर
एनपीपीए के इस कदम से उन दवा कंपनियों पर असर पड़ सकता है, जो इन सप्लीमेंट्स की प्रमुख निर्माता हैं। इनमें एबॉट लेबोरेट्रीज (Abbott Laboratories), बायर एजी (Bayer AG), ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) शामिल हैं।
कोरोना काल में बढ़ी दवाओं की मांग
ईटी की रिपोर्ट में मार्केट डेटा के हवाले से बताया गया है कि भारत में विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट की लॉन्चिंग बढ़ रही है। ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के अनुसार, कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि ने विटामिन टैबलेट्स जैसे इम्युनिटी बूस्टर की मांग को 30% -40% तक बढ़ा दिया है।
इससे पहले, 2017 में, ड्रग प्राइसिंग रेगुलेटर ने एक साल की अवधि के लिए डीपीसीओ 2013 के पैरा 19 को लागू करके स्टेंट और आर्थोपेडिक नी (घुटने) इंप्लांट्स की कीमतों में 87% की कमी की थी।
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