Masoor Dal Production: टूटेगा मसूर दाल के उत्पादन का रिकॉर्ड, बुवाई में बढ़ोतरी से 16 लाख टन की उम्मीद

Masoor Dal Production In India: चालू रबी सत्र में, मसूर फसल के अंतर्गत अधिक रकबे को लाया गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 18.3 लाख हेक्टेयर था।

Masoor Dal Production In India

भारत में मसूर दाल का उत्पादन

मुख्य बातें
  • बढ़ेगा मसूर दाल का उत्पादन
  • 16 लाख टन की है उम्मीद
  • बुवाई का रकबा बढ़ने का होगा नतीजा

Masoor Dal Production In India: देश में मसूर दाल का उत्पादन वर्ष 2023-24 के रबी सत्र में 16 लाख टन के ऑल-टाइम हाई पर पहुंचने का अनुमान है। इसका कारण बुवाई का रकबा अधिक होना है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 के रबी सत्र में मसूर का उत्पादन 15.6 लाख टन हुआ था। दुनिया में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, भारत दलहन की घरेलू कमी को पूरा करने के लिए मसूर और तुअर सहित कुछ दालों का आयात करता है। सिंह ने ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इस साल मसूर का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर रहने वाला है। हमारा मसूर उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होगा। रकबे में वृद्धि हुई है। परिदृश्य बदल रहा है।

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19.4 लाख हेक्टेयर हो गया रकबा

चालू रबी सत्र में, मसूर फसल के अंतर्गत अधिक रकबे को लाया गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 18.3 लाख हेक्टेयर था।

कितना होता है उत्पादन

सचिव ने कहा कि देश में सालाना औसतन 2.6-2.7 करोड़ टन दाल का उत्पादन होता है। चना और मूंग के मामले में, देश आत्मनिर्भर है, लेकिन अरहर और मसूर जैसी अन्य दालों के मामले में, यह अभी भी अपनी कमी को पूरा करने के लिए आयात करता है।

उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार किसानों को अधिक दाल उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन खेती के सीमित क्षेत्रफल को भी ध्यान में रखना होगा।

दाल की कीमतें नियंत्रित

किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन का जिक्र करते हुए सचिव ने कहा कि मुझे लगता है कि हम पिछले कुछ वर्षों में ठीक ठाक काम कर रहे हैं। मौसम की गड़बड़ी के बावजूद, हम दाल की कीमतों को उचित नियंत्रण में रखने में कामयाब रहे हैं।

नाफेड के एमडी रितेश चौहान ने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए तुअर खरीद पोर्टल पर सकारात्मक रेस्पॉन्स मिला है। उन्होंने कहा कि पोर्टल शुरू करने के कुछ दिनों के भीतर रजिस्टर्ड तुअर किसानों के माध्यम से लगभग 1,000 टन तुअर दाल खरीदी गई।

भारत के लिए दाल अहम

वहीं जीपीसी बोर्ड के अध्यक्ष विजय अयंगर ने कहा कि स्थायी खाद्य प्रणालियों के विकास में दाल महत्वपूर्ण हैं। जब भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण की बात आती है तो दाल महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस साल जीपीसी के नई दिल्ली सम्मेलन का समय और स्थान इससे अधिक उपयुक्त नहीं हो सकता क्योंकि हम वैश्विक दाल उद्योग को जोड़ने और सहयोग करने के लिए एक साथ लाने पर विचार कर रहे हैं।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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