Mobikwik: मोबिक्विक के फाउंडर को अपना घर बनाना पड़ा था ऑफिस, किराए के नहीं थे पैसे

Mobikwik Startup: मोबिक्विक के फाउंडर बिपिन प्रीत सिंह ने अपने संघर्ष भरे दिन को याद किया। एक पॉडकॉस्ट में उन्होंने बताया कि कैसे महंगे रूम रेंट की वजह से उन्हें घर को ही ऑफिस बनाना पड़ा। इतना ही नहीं उन्हें दक्षिण दिल्ली से द्वारका भी शिफ्ट होना पड़ा।

Mobikwik founder Bipin Preet Singh

मोबिक्विक के फाउंडर बिपिन प्रीत सिंह।

Mobikwik Startup: बड़े-बड़े शहरों में रहने का खर्च और किराए से आम नागरिक ही नहीं बिजनेसमैन भी परेशान है। मोबिक्विक (Mobikwik) के फाउंडर बिपिन प्रीत सिंह (Mobikwik Founder Bipin Preet Singh) इंटरनेट की दुनिया में चर्चा में है। उन्होंने खुलासा किया है कि 2009 में जब वह दक्षिण दिल्ली में रहते थे तो उन्हें घर छोड़ना पड़ा था। इसके पीछे वजह उन्होंने घर का किराया बहुत ज्यादा होना बताया। उन्होंने बताया कि यह वह दौर जब उन्होंने डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था और शुरुआती दौर पर थे। वह यहां से घर छोड़ अपनी पत्नी के साथ द्वारका शिफ्ट हो गए जहां प्रॉपर्टी की कीमतें बहुत कम थीं।
सिंह ने मास्टर यूनियन पॉडकास्ट में कहा, "हमारे पास पहले दक्षिण दिल्ली में एक अपार्टमेंट था, लेकिन फिर हमें पता चला कि किराए का पेमेंट करने और स्टार्टअप चलाने के लिए दक्षिण दिल्ली बहुत महंगी है। फिर हम द्वारका चले गए।"
सिंह ने बताया कि कैसे उन्हें स्टार्टअप के स्पेस के लिए संघर्ष करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें अपने घर को मोबिक्विक के पहले ऑफिस के रूप में इस्तेमाल करना पड़ा। उन्होंने कहा, "वह अपार्टमेंट जहां हम किराए पर रहते थे, मुझे अभी भी याद है कि उसका किराया 10,000-12,000 रुपये था। यह एक तरह से मोबिक्विक का पहला ऑफिस था। क्योंकि यहीं पर हमने पहले व्यक्ति को काम पर रखा था।"
सिंह ने यह भी बताया कि उन्हें हर सुबह 7:30 बजे उठकर कर्मचारी के लिए दरवाज़ा खोलना पड़ता था, जिसे उन्होंने काम पर रखा था। उन्होंने आपने ड्राइंग रूम में डेस्कटॉप के लिए टेबलें लगाई थीं। उन्होंने अपनी यह कहानी बताते हुए कहा कि अपने दम पर कुछ शुरू करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाना पड़ता है।
सिंह ने कहा कि अब कंपनी शुरू करना पहले की तुलना में आसान है। उन्होंने कहा, "यदि आप एक इंटरनेट स्टार्टअप बना रहे हैं, तो एक उत्पाद बनाने के लिए आपको जितनी धनराशि की आवश्यकता होगी, वह पहले की तुलना में आज बहुत कम है क्योंकि प्रौद्योगिकी की लागत में कमी आई है।" उन्होंने यह भी बताया कि फाउंडर के रूप में किसी को प्रतिभा के लिए केवल टॉप कंपनियों की ओर देखने की जरूरत नहीं है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह मई 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजा...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited