मोदी सरकार की चीन से तनातनी बरकार, इस चाइनीज कंपनी को नहीं दी बिजनेस की इजाजत

BYD Manufacturing Facility: कंपनियों ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को दिए अपने आवेदन में हैदराबाद में एक इलेक्ट्रिक वाहन संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। डीपीआईआईटी ने निवेश प्रस्ताव पर अन्य विभागों से राय मांगी थी।

BYD Manufacturing Facility

BYD को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के प्लान को झटका

BYD Manufacturing Facility: इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी BYD को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के प्लान को झटका लगा है। दरअसल हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ साझेदारी करके भारत में 1 बिलियन डॉलर की इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए बीवाईडी मोटर्स प्लांट लगाना चाहती थी। लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके पीछे की वजह सुरक्षा बताई गई है।

विभाग ने मांगी थी राय

दोनों कंपनियों ने उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) को दिए अपने आवेदन में हैदराबाद में एक इलेक्ट्रिक वाहन संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। डीपीआईआईटी ने निवेश प्रस्ताव पर अन्य विभागों से राय मांगी थी। इन विभाग के अधिकारियों में से एक ने ईटी को बताया, "विचार-विमर्श के दौरान भारत में चीनी निवेश के संबंध में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उजागर किया गया।"

इस तरह का करना चाहती थी समझौता

चर्चा में शामिल एक दूसरे अधिकारी ने कहा, "मौजूदा नियम ऐसे निवेश की अनुमति नहीं देते हैं।" योजना से जुड़े एक व्यक्ति ने ईटी को बताया कि मेघा पूंजी लगा रही थी, जबकि प्रौद्योगिकी और जानकारी बीवाईडी से आनी थी। बिक्री के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी बीवाईडी पहले ही भारत में दो ईवी मॉडल लॉन्च कर चुकी है।

ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक की कर रही मदद

यह अपनी इलेक्ट्रिक बसों के लिए एमईआईएल की यूनिट ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक को तकनीकी सहायता भी दे रही है। ओलेक्ट्रा के पास 2,000 बसों के ऑर्डर हैं, जिनकी कीमत 3,000-3,500 करोड़ रुपये है, जिसे वह अगले 12-18 महीनों में सप्लाई करने की योजना बना रही है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में हुए बदलाव

हालांकि इस बारे में बीवाईडी और एमईआईएल से संपर्क नहीं किया जा सका जिसकी वजह से उनका इस पर क्या कहना है यह जानकारी नहीं हो हो पाई। अप्रैल 2020 में, भारत ने अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में बदलाव किया, जिससे उन देशों से आने वाले निवेश के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य हो गई जो उसकी भूमि-सीमा साझा करते हैं।

लग चुके हैं ये आरोप

गृह सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति ऐसे प्रस्तावों पर निर्णय लेती है। हालांकि नीति में किसी भी देश का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य चीनी कंपनियों को कोविड-19 महामारी के बाद भारत में यूनिट्स हासिल करने से रोकना था। डीपीआईआईटी पहले से ही भारतीय कंपनियों के साथ संबंध रखने वाली चीनी ऑटोमोबाइल कंपनियों की जांच कर रही है, इन आरोपों के बाद कि कुछ चीनी ऑटो कंपनियों ने भारत में विनिर्माण क्षमताओं को स्थानांतरित करने के किसी भी रणनीतिक दीर्घकालिक इरादे के बिना, उनके लिए एक मुखौटा के रूप में कार्य करने के लिए प्रॉक्सी भारतीय साझेदारों को अपने साथ जोड़ लिया है।

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आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजार, ...और देखें

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