Raw Jute MSP Hike: किसानों को मोदी सरकार का तोहफा, कच्चे जूट की एमएसपी में 2.35 गुना बढ़ोतरी
Raw Jute MSP Hike: मोदी सरकार ने मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 मार्केटिंग सत्र के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
कच्चे जूट की एमएसपी में जरबदस्त बढ़ोतरी (तस्वीर-Canva)
Raw Jute MSP Hike: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार 22 जनवरी 2025 को मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी, जो पिछले MSP से 6 प्रतिशत या 315 रुपये अधिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी। मंत्री ने कहा कि नई MSP अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर 66.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित करता है और इससे किसानों को लाभ होगा। सरकार ने कच्चे जूट के MSP को 2014-15 में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 मार्केटिंग सत्र के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 2.35 गुना वृद्धि है।
2025-26 सत्र के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 ग्रेड) का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 66.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा। मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट का स्वीकृत एमएसपी, बजट 2018-19 में सरकार द्वारा घोषित अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है।
मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए कच्चे जूट का एमएसपी पिछले मार्केटिंग सत्र 2024-25 की तुलना में 315 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है। भारत सरकार ने कच्चे जूट का एमएसपी 2014-15 में 2400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2025-26 में 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो 3250 रुपये प्रति क्विंटल (2.35 गुना) की वृद्धि दर्ज करता है।
वर्ष 2014-15 से 2024-25 की अवधि के दौरान जूट उत्पादक किसानों को दी गई एमएसपी राशि 1300 करोड़ रुपये थी, जबकि वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान दी गई राशि 441 करोड़ रुपये थी। 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से जूट उद्योग पर निर्भर करती है।
करीब 4 लाख श्रमिकों को जूट मिलों और जूट के व्यापार में डायरेक्ट रोजगार मिलता है। पिछले वर्ष 1 लाख 70 हजार किसानों से जूट की खरीद की गई थी। 82% जूट किसान पश्चिम बंगाल के हैं, जबकि शेष असम और बिहार में जूट उत्पादन में 9-9% की हिस्सेदारी है।
भारतीय जूट निगम (JCI) मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगा और ऐसे संचालन में होने वाले नुकसान, यदि कोई हो, की पूरी भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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