इन लोगों को मानसून में होती है अरबों की कमाई,जरा से देरी सरकार से लेकर सबकी उड़ा देती है नींद
Monsoon Impact Of Indian Economy:भले ही भारत तेजी से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ कर रहा है और उसकी बड़ी आबादी की रोजगार के लिए इन सेक्टर पर निर्भरता बढ़ रही है। लेकिन अभी भी 3.75 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी डायरेक्ट और इन डायरेक्ट रूप से कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। और कृषि क्षेत्र पूरी तरह मानसून पर निर्भर है।
मानसून और भारतीयों की कमाई का सीधा नाता
Monsoon Impact Of Indian Economy And People Income:भारत में मानसून ने दस्तक दे दी है। और वह देश के 80 फीसदी हिस्से को कवर कर चुका है। और साल 1961 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि मानसून मुंबई और दिल्ली में एक साथ पहुंचा है। मानसून ने इस बार कई अहम बदलाव दिखाए हैं। एक तरफ जहां यह केरल और महाराष्ट्र में लेट पहुंचा है वहीं दिल्ली में यह दो दिन पहले पहुंच गया । मानसून का यही खेल सरकार से लेकर, किसान और उद्योग जगत की धड़कनें बढ़ा देता है। भारतीय इकोनॉमी इस कदर मानसून से जुड़ी हुई है कि अगर उसकी चाल में जरा सा भी हेर-फेर होता है तो करोड़ों के वारे-न्यारे हो जाते हैं। वहीं अगर वह सामान्य रहता है तो सभी के चेहरे खिल जाते हैं और उसका फायदा अरबों-खरबों में रुपये में होता है।
मानसून से देश की 75 फीसदी बारिश
भले ही भारत तेजी से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ कर रहा है और उसकी बड़ी आबादी की रोजगार के लिए इन सेक्टर पर निर्भरता बढ़ रही है। लेकिन अभी भी 3.75 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी डायरेक्ट और इन डायरेक्ट रूप से कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। और कृषि क्षेत्र पूरी तरह मानसून पर निर्भर है। क्योंकि 75 फीसदी बारिश का पानी उसे मानसून से ही मिलता है। ऐसे में अगर मानसून में बारिश कम होती है, तो उसका सीधा असर कृषि उत्पादन पर होता है। मसलन अभी 23जून 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार देश में धान की बुआई करीब 35 फीसदी कम क्षेत्र में हुई है। क्योंकि उस वक्त तक देश में 31 फीसदी कम बारिश हुई थी। जाहिर है अगर यह स्थिति बनी रहती है तो धान का उत्पादन गिरेगा। जिसका असर किसानों की इनकम पर निगेटिव रुप में होगा। धान की तरह दाल, सोयाबीन जैसी फसलें भी मानसून पर निर्भर रहती है। कुल मिलाकर देश का 50 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन मानसून पर निर्भर है।
50 फीसदी की आय कृषि पर निर्भर
वैसे तो GDP में कृषि क्षेत्र की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। लेकिन देश की 50 फीसदी आबादी की आय का प्रमुख जरिया कृषि है। ऐसे में अगर किसानों इनकम बढ़ती है तो उसका फायदा पूरी इकोनॉमी को मिलता है। कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के जेब में ज्यादा पैसा आता है। ज्यादा पैसा आने का मतलब है लोग खर्च भी ज्यादा करेंगे। और ऐसा होने से सीधे तौर पर उद्योग जगत को फायदा मिलेगा। सबसे अहम बात है कि उत्पादन सामान्य होने या ज्यादा होने से महंगाई पर नियंत्रण रहता है। यानी लोगों को महंगाई की मार नहीं झेलनी पड़ती है।
इन सेक्टर को अरबों का फायदा
- मानसून अच्छा होने से एफएमसीजी कंपनियों को बड़ा फायदा मिलता है। ये कंपनियां साबुल, तेल, बिस्कुट, खाने-पीने के सामान से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों के उत्पादन बनाती हैं।
- इसी तरह जब ग्रामीण इलाकों में पैसा आता है तो दोपहिया वाहन, चार पहिया वाहन और घरों की बिक्री में भी तेजी आती है। जिसका फायदा ऑटो कंपनियों, हाउसिंग सेक्टर की कंपनियों को मिलता है।
- अच्छे मानसून का फायदा, गारमेंट , इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को भी खूब मिलता है। कपड़ों, ज्वैलरी, टीवी,फ्रिज, एसी जैसे उत्पादन की बिक्री में भी इजाफा होता है।
- जब कंपनियों की मांग बढ़ती है तो उसका फायदा रोजगार के नए अवसर और बढ़ती सैलरी के रुप में शहरी क्षेत्रों के लोगों को मिलता है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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