Mustard Price: सरसों की कीमतें MSP से नीचें आईं, किसानों पर दोहरी मार, क्या सरकार करेगी खरीद !

Mustard Price: सरसों के बीज की थोक कीमतें 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार किसानों को करीब 1000 रुपये कम कीमत पर सरसों को बेचना पड़ रहा है। और अभी गुजरात और कोटा संभाग को छोड़कर देश में सरसों की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है।

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सरसों की कीमतें एमएसपी से नीचे

Mustard Price At Below MSP Rate:देश में सरसों के बीज की कीमतें एमएसपी से नीचें चली गई है। ऐसे में सरसों किसानों के लिए चुनौती खड़ी हो गई है। इसे देखते हुए खाद्य तेल उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरकार से हस्तक्षेप की अपील की है। उसका कहना है कि नेफेड को निर्देश देकर एमएसपी खरीद की व्यस्था करनी चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में किसानों और उद्योग जगत के लिए नई परेशानी खड़ी हो सकती है। उद्योग जगत को इस बात की आशंका है कि अगर कीमतें गिरती है तो किसान आने वाले सीजन के लिए सरसों की खेती से दूरी बना सकते हैं। जिससे आयात पर निर्भरता और बढ़ जाएगी।

कितनी गिर गई कीमतें

सरसों के बीज की थोक कीमतें 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार किसानों को करीब 1000 रुपये कम कीमत पर सरसों को बेचना पड़ रहा है। और अभी गुजरात और कोटा संभाग को छोड़कर देश में सरसों की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है। जबकि मंडियों में सरसों की आवक शुरू हो गई है। इससे सरसों किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

इसे देखते हुए एसईए ने कहा कि एमएसपी पर सरसों के बीज की खरीद की सुविधा के लिए प्रमुख मंडी क्षेत्रों में खरीद केंद्र स्थापित करने के लिए (सहकारी) नेफेड को निर्देश देने का आग्रह करते हैं, जिससे बाजार स्थिरता और किसान कल्याण का समर्थन किया जा सके।उन्होंने कहा कि एमएसपी खासकर सरसों की कटाई के मौजूदा मौसम में बड़ी चिंता बनी हुई है। सरसों के बीज की मौजूदा बाजार कीमतें 5,650 रुपये के एमएसपी से नीचे हैं, जिससे तत्काल सरकारी दखल की जरूरत है। चालू सत्र के दौरान रकबा 100 लाख हेक्टेयर के शिखर पर पहुंचने के बावजूद कीमतों में गिरावट के कारण सरसों की खेती में किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों पर दोहरी मार

यह लगातार दूसरा साल है जब किसानों को सरसों में घाटा हुआ। इसके पहले इस साल फसल पर मौसम की भी मार पड़ी है। देश में पिछले साल 1.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 165 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। भारत अपनी खाद्य तेलों की कुल जरूरत का करीब 57 फीसदी आयात के जरिए पूरा करता है। ऐसे में किसानों को एमएसपी से भी कम कीमत मिलना, आने वाले सीजन में उत्पादकता पर असर डाल सकता है।

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