MF : क्या होते हैं सेक्टोरल फंड, कैसे कराते हैं कमाई, पैसा लगाने से पहले जान लीजिए
म्यूचुअल फंड कई तरह के होते हैं। इनमें सेक्टोरल फंड भी शामिल हैं। सेक्टोरल फंड किसी खास सेक्टर की कंपनियों में निवेश करते हैं। पर इनमें जोखिम भी होता है।
सेक्टोरल फंड क्या होते हैं
मुख्य बातें
- सेक्टोरल फंड इक्विटी फंड ही होते हैं
- सेक्टोरल फंड के प्रोफिट पर दो तरह से टैक्स लगता है
- प्रोफिट को शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म माना जाता है
What are Sectoral Fund Benefits : म्यूचुअल फंड में कई तरह के फंड होते हैं। अधिकतर फंड किसी न किसी तरह एक-दूसरे से अलग होते हैं। इन्हीं में सेक्टोरल फंड भी शामिल हैं। सेक्टोरल फंड असल में इक्विटी फंड ही होते हैं। पर ये निवेशकों के पैसे को एक खास सेक्टर या उससे जुड़े बिजनेसों में निवेश करते हैं। यदि आप हेल्थकेयर फंड चुनते हैं तो आपका अधिकतर पैसा हेल्थकेयर या इससे संबंधित कंपनियों में निवेश होगा।
कैसे कमाई कराते हैं सेक्टोरल फंड
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देश की इकोनॉमी में कई अलग-अलग सेक्टर हैं, जिनमें टेक, बैंकिंग, फार्मा, नेचुरल रिसॉर्सेज आदि शामिल हैं। इनमें से हर सेक्टर समय-समय पर बढ़िया परफॉर्मेंस करता है।
उस समय उस सेक्टर की कंपनियां अच्छा बिजनेस करती हैं, जिससे उनके शेयरों में तेजी आती है। ऐसे में जो सेक्टोरल फंड उन सेक्टरों के होते हैं, वे निवेशकों को फायदा कराते हैं।
कोरोना काल है बढ़िया उदाहरण
सेक्टोरल फंड को समझने के लिए कोरोना काल सबसे बेहतर है। उस समय हेल्थकेयर और आईटी की डिमांड बहुत अधिक हो गई थी, जिससे इन सेक्टरों की कंपनियों ने निवेशकों को जमकर रिटर्न दिया। वहीं होटल बंद थे, इसलिए होटल कंपनियों के शेयर भी सुस्त रहे।
क्या है सेक्टोरल फंड का सबसे बड़ा फायदा और नुकसान
यदि आपके चुने हुए फंड ने अच्छा परफॉर्म किया तो आपको बढ़िया रिटर्न मिलेगा। ये सेक्टोरल फंड का फायदा है। मगर नुकसान भी यही है। ऐसा इसलिए कि मान लीजिए यदि आपने फार्मा सेक्टर के फंड में निवेश किया और वो सेक्टर के लिए अच्छा समय नहीं हुआ तो आपका पैसा फंस जाएगा और आपको नुकसान हो सकता है।
किसके लिए हो सकते हैं बेहतर
सेक्टोरल फंड इक्विटी फंड ही हैं, तो ये केवल जोखिम ले सकने वालों के लिए बेहतर हो सकते हैं। ईटी मनी के अनुसार जो निवेशक वेल-इंफॉर्म्ड और एक्टिव हैं, उनके लिए ये ठीक रहेंगे।
इन बातों का रखें ध्यान
- निवेश से पहले अपना लक्ष्य तय करें
- निवेश के जोखिम को ध्यान में रखें
- अपने पोर्टफोलियो का बहुत अधिक निवेश न करें
- फंड के एक्सपेंस रेशियो को जरूर चेक करें
दो तरीकों से होता है टैक्सेशन
सेक्टोरल फंड पर 2 तरह के टैक्स लगता है। 1 वर्ष के भीतर निवेश निकालने पर लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) माना जाएगा और उस पर 15% टैक्स लगेगा।
एक साल से ज्यादा समय तक रखने पर गेन को टैक्स वाले टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) माना जाता है। एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख तक का प्रोफिट टैक्स फ्री है। 1 लाख से अधिक के प्रोफिट पर 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है।
डिस्क्लेमर : म्यूचुअल फंड में जोखिम होता है, इसलिए निवेश अपने जोखिम पर करें। निवेश करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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