शिशु आहार प्रोडक्ट्स में पिछले 5 साल में 30% कम की चीनी, नेस्ले इंडिया का दावा
Nestle India: नेस्कैफे, सेरेलैक और मैगी जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी ने उन खबरों के बीच यह स्पष्टीकरण दिया जिसमें दावा किया गया था कि वह कम विकसित देशों में अधिक चीनी वाले उत्पाद बेच रही है। नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि उसने पिछले 5 वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी की है।
नेस्ले इंडिया
Nestle India: नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी की है। नेस्कैफे, सेरेलैक और मैगी जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी ने उन खबरों के बीच यह स्पष्टीकरण दिया जिसमें दावा किया गया था कि वह कम विकसित देशों में अधिक चीनी वाले उत्पाद बेच रही है। स्विस एनजीओ पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) के निष्कर्षों के अनुसार, नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे।
चीनी में कमी करना नेस्ले इंडिया की प्राथमिकता
इस संबंध में पूछे जाने पर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि चीनी में कमी करना नेस्ले इंडिया की प्राथमिकता है। पिछले पांच वर्षों में हमने उत्पाद के आधार पर चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी की है। प्रवक्ता ने कहा कि हम नियमित रूप से अपने उत्पादों की समीक्षा करते रहते हैं और पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा तथा स्वाद से समझौता किए बिना चीनी के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार करते रहते हैं।
पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं
नेस्ले इंडिया ने दावा किया कि उसके शिशु अनाज उत्पादों का निर्माण बच्चों की प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, लौह आदि जैसी पोषण संबंधी आवश्यकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। प्रवक्ता ने कहा कि हम अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे। हम अपने उत्पादों की पोषण संबंधी उत्पादों को बढ़ाने के लिए अपने व्यापक वैश्विक अनुसंधान व विकास नेटवर्क की लगातार मदद लेते हैं। आईबीएफएएन की रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न शिशु उत्पादों का अध्ययन किया गया।
15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम थी चीनी
रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं आधारित उत्पाद ‘सेरेलैक’ ब्रिटेन तथा जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जाता है, लेकिन भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम चीनी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में पैकेजिंग पर चीनी की मात्रा बताई गई थी। उत्पाद में सबसे अधिक चीनी थाईलैंड में छह ग्राम पाई गई। फिलीपीन में आठ नमूनों में से पांच में चीनी की मात्रा 7.3 ग्राम पाई गई और इसकी जानकारी पैकेजिंग पर भी घोषित नहीं की गई थी। नेस्ले इंडिया ने कहा कि वह अपने उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम पोषण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हम 100 वर्षों से अधिक समय से कर रहे हैं। हम अपने उत्पादों में पोषण, गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं। (भाषा)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
जेएसडब्ल्यू समूह की अपनी वाहन कंपनी बनाने की तैयारी, 1 अरब डॉलर का निवेश
New Income Tax Bill: बजट सत्र में नया इनकम टैक्स बिल लाएगी मोदी सरकार! जानें क्या-क्या हो सकते हैं बदलाव
Jio Coin : क्या मुकेश अंबानी की RIL की क्रिप्टोकरेंसी में एंट्री? जियोकॉइन की चर्चा तेज, जानिए डिटेल
Budget Glossary: बजट 2025 से पहले जान लें ये 17 जरूरी शब्द, पड़ोसी से पूछने की नहीं पड़ेगी जरूरत
8th pay commission salary hike: सैलरी मैट्रिक्स के हिसाब से चपरासी से ऑफिसर तक कितना बढ़ सकता है वेतन? कैसे करें कैलकुलेट
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited