New Vs Old Tax Regime: 10 लाख तक की इनकम कैसे हो सकती है टैक्स फ्री, जानें तरीका
New Income Tax Regime vs Old Income Tax Regime: नया वित्तीय वर्ष 2024-25 शुरू होते ही टैक्स सेविंग के लिए नई आयकर व्यवस्था या पुरानी आयकर व्यवस्था चुनने की सिर दर्दी सामने आ गई है। लेकिन यहां आपको समाधान मिलेगा कौन सा टैक्स रिजीम चुनना हमारे लिए फायदेमंद रहेगा।
नई या पुरानी इनकम टैक्स रिजीम में से कौन बेहतर
New Income Tax Regime vs Old Income Tax Regime: नया वित्तीय वर्ष 2024-25 शुरू हो गया है। अब टैक्सपेयर्स को बताना है कि इस फाइनेंशियल ईयर में कहां-कहां कितना निवश करना है अगर वह पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनते हैं। अप्रैल महीने में कंपनी या संस्थान या कोई नियोक्ता कर्मचारियों से 2024-25 के लिए टैक्स स्ट्रैक्चर चुनने को कहते हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुताबिक यह विकल्प टैक्सपेयर्स के लिए एक बार निर्णय लेने का है। एक बार जब कोई टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स व्यवस्था (नई या पुरानी) का चयन करेंगे तो उसके अनुसार उनकी इनकम पर टैक्स लगाया जाएगा। जिसमें अगले वर्ष के टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के दौरान स्विच करने का विकल्प होगा। ध्यान देने वाली जरूरी बात यह है कि नई टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट विकल्प है। जो लोग समय सीमा पर टैक्स व्यवस्था चयन करने चूक जाते हैं उन्हें खुद व खुद इसके अंतर्गत रखा जाएगा।
नई आयकर व्यवस्था (New Income Tax Regime) बनाम पुरानी आयकर व्यवस्था (Old Income Tax Regime)
नई इनकम टैक्स व्यवस्था व्यापक टैक्स स्लैब और कम दरों की पेशकश करती है लेकिन इसमें एचआरए, एलटीए और निवेश, बीमा और लोन ब्याज के लिए कटौती जैसी कई कटौतियों नहीं होती हैं। नई इनकम टैक्स व्यवस्था ओर निवेश या खर्च के किसी प्रमाण पेश करने की जरूरत नहीं होती है। पुरानी टैक्स व्यवस्था में सभी निवेश और खर्च के सभी प्रमाण जमा करने होते हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स स्लैब
इनकम रेंज (रुपए में) | टैक्स दर |
250,000 | जीरो |
250001 से 500000 तक | 5% |
500001 से 10,00000 तक | 20% |
10,00000 से अधिक | 30% |
इनकम रेंज (रुपए में) | टैक्स दर |
300,000 तक | जीरो |
300001 से 600000 तक | 5% |
600001 से 900000 तक | 10% |
900001 से 1200000 तक | 15% |
1200001 से 1500000 तक | 20% |
1,500,000 से अधिक | 30% |
नई आयकर व्यवस्था से युवा कमाई करने वालों और सीनियर सिटिजन्स को भी फायदा होता है, जो टैक्स सेविंग उपकरणों में धन को बांधना नहीं पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त किराए से संबंधित दस्तावेज, मकान मालिक का पैन आदि उपलब्ध कराने में चुनौतियों का सामना करने वाले किरायेदारों को नई आयकर व्यवस्था सुविधाजनक लगेगी। दूसरी ओर पुरानी टैक्स व्यवस्था के अपने फायदे हैं। अगर कटौती के बाद टैक्स योग्य आय 5 लाख रुपए से कम रहती है तो सेक्शन 87A के तहत इनकम टैक्स राहत उपलब्ध है। दिलचस्प बात यह है कि सभी छूटों और कटौतियों का उपयोग करने से 10 लाख रुपए तक की आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स शून्य हो सकता है! इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए नीचे ध्यान दें
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टैक्स योग्य आय (रुपए में) | 10,00,000 |
स्टेंडर्ड कटौती | 50,000 |
सेक्शन 80C के तहत निवेश | 1,50,000 |
होम लोन ब्याज कटौती या एचआरए | 2,00,000 |
NPS में निवेश | 50,000 |
हेल्थ इश्योरेंस (खुद या माता-पिता) | 50,000 |
मेडिकल बिल | 5000 |
कुल टैक्स योग्य आय | 4,95,000 |
चुकाने के लिए टैक्स | जीरो |
नई आय व्यवस्था के तहत अगर टैक्स योग्य आय 7 लाख रुपए से कम है तो कोई टैक्स लागू नहीं होगा, वेतनभोगी टैक्सपेर्स के लिए 50,000 रुपए की मानक कटौती है। इसका मतलब है कि 7.5 लाख रुपए तक की टैक्स योग्य आय वाले व्यक्तियों को टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश करने की बाध्यता के बिना जीरो टैक्स भुगतान करना होगा। यानी टैक्स नहीं लगेगा।
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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