PSL: 1 अप्रैल से लागू होंगे प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के नए नियम, जानिए लोन लेने वालों के लिए क्या-क्या बदलेगा
Priority Sector Lending: RBI ने सोमवार को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए। इसका मकसद इन सेक्टर्स को बेहतर ढंग से टारगेटेड बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है। नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे। जानिए लोन लेने वालों के लिए क्या-क्या बदलेगा।



जानिए, 1 अप्रैल से लोन लेने वालों के लिए क्या-क्या बदलेगा (तस्वीर-Canva)
Priority Sector Lending: भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) पर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए, ताकि अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले सेक्टर्स को बैंक बेहतर ढंग से लक्षित बैंक कर्ज उपलब्ध कराना है। आरबीआई ने कहा कि नए गाइडलाइंस 01 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि संशोधित दिशा-निर्देशों के बढ़े हुए कवरेज से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले सेक्टर्स को बैंक लोन का बेहतर लक्ष्यीकरण करने में सुविधा होने की उम्मीद है।
नए मानदंडों में प्रमुख बदलावों में कई लोन लिमिट में वृद्धि शामिल है, जिसमें बढ़ी हुई पीएसएल कवरेज के लिए होम लोन और उन उद्देश्यों का विस्तार शामिल है जिनके आधार पर लोन को रिन्युअल एनर्जी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है। शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के लिए समग्र PSL टारेगट में भी संशोधन किया गया है, जो समायोजित शुद्ध बैंक क्रेडिट (ANBC) या ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर (CEOBSE) के बराबर लोन के 60 प्रतिशत तक है, जो भी अधिक हो। संशोधित मानदंडों ने 'कमजोर वर्गों' की कैटेगरी के तहत पात्र उधारकर्ताओं की लिस्ट का भी विस्तार किया, साथ ही UCB द्वारा व्यक्तिगत महिला लाभार्थियों को लोन पर मौजूदा सीमा को हटा दिया।
प्रायोरिटी सेक्टर वर्गीकरण के लिए आवास क्षेत्र को बैंक लोन तीन श्रेणियों में निर्धारित किए गए हैं। 50 लाख रुपये (50 लाख और उससे अधिक की आबादी वाले केंद्र), 45 लाख रुपये (10 लाख और उससे अधिक लेकिन 50 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र) और 35 लाख रुपये (10 लाख से कम की आबादी वाले केंद्र)। प्रत्येक मामले में आवास यूनिट्स की अधिकतम लागत भी निर्दिष्ट की गई है।
रिन्युअल एनर्जी के मामले में दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि रिन्युअल एनर्जी आधारित बिजली जनरेटर और अक्षय ऊर्जा आधारित सार्वजनिक यूटिलिटी के लिए उधारकर्ताओं को 35 करोड़ रुपये की सीमा तक के बैंक लोन प्रायोरिटी सेक्टर वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। व्यक्तिगत परिवारों के लिए लोन सीमा प्रति उधारकर्ता 10 लाख रुपये होगी। प्रायोरिटी सेक्टर के अंतर्गत आने वाली कैटेगरी में कृषि, एमएसएमई, निर्यात लोन, शिक्षा, आवास, सामाजिक अवसंरचना और रिन्युअल एनर्जी शामिल हैं।
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