New Tax Regime vs Old Tax Regime: पुरानी या नई, कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए है बेहतर, जानिए डिटेल
New Tax Regime vs Old Tax Regime: नई टैक्स व्यवस्था या पुरानी टैक्स व्यवस्था में से कौन बेहतर है। आपके लिए सही व्यवस्था चुनने में आपकी मदद करने के लिए, यहां दो टैक्स व्यवस्थाओं के बीच तुलना की गई है ताकि आप समझ सकें कि उनमें से प्रत्येक क्या ऑफर करता है और कौन सी व्यवस्था आपके लिए उपयुक्त है।
New Tax Regime और Old Tax Regime कौन बेहतर
New Tax Regime vs Old Tax Regime: नई टैक्स व्यवस्था की शुरुआत के साथ 2020 में भारतीय टैक्स परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया। नई टैक्स व्यवस्था ने मौजूदा या पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत दी जाने वाली अधिकांश कटौतियों को खत्म कर दिया और इसका उद्देश्य टैक्सपेयर्स के अनुपालन बोझ को कम करने के साथ-साथ उनके हाथों में अधिक डिस्पोजेबल आय देना था। इस बीच, पुरानी टैक्स व्यवस्था ने विभिन्न कटौतियों की पेशकश जारी रखी और टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी कम करने में मदद की। लेकिन इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच चयन करना एक ऐसा प्रश्न है जो हर साल पूछा जाता है क्योंकि निवेश घोषणा का समय करीब आता है। आपके लिए सही व्यवस्था चुनने में आपकी मदद करने के लिए, यहां दो टैक्स व्यवस्थाओं के बीच तुलना की गई है ताकि आप समझ सकें कि उनमें से प्रत्येक क्या ऑफर करता है और कौन सी व्यवस्था आपके लिए उपयुक्त है।
टैक्स स्लैब और दरें
पुरानी टैक्स व्यवस्था में पांच टैक्स स्लैब हैं जो 5% से 30% तक हैं और प्रत्येक स्लैब में व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग-अलग दरें हैं। उदाहरण के लिए, 2.50 लाख रुपए से अधिक और 3 लाख रुपए तक की टैक्स योग्य आय पर 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए 5% कर लगेगा। हालांकि इस आय स्लैब के अंतर्गत आने वाले 60 से 80 वर्ष और 80 वर्ष से अधिक आयु के टैक्सपेयर्स को टैक्स से छूट दी गई है। दूसरी ओर नई टैक्स व्यवस्था ने सरलता के लिए मौजूदा आय स्लैब का पुनर्गठन किया है। विभिन्न आय स्लैब पर एक समान टैक्स लागू होगा। उदाहरण के लिए पुरानी व्यवस्था के विपरीत 3 लाख रुपए तक की टैक्स योग्य आय सभी टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स से मुक्त है।
कटौती
पुरानी व्यवस्था विभिन्न कटौतियों की पेशकश जारी रखती है, जिससे टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी कम करने की अनुमति मिलती है। सबसे अधिक प्राप्त कटौतियों में से कुछ हैं सेक्शन 80C (निवेश), 80D (स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम), 80E (शिक्षा ऋण ब्याज), 80G (दान), 24 (होम लोन ब्याज), 80 CCD (1B) (NPS योगदान), 80DDB (मेडिकल ट्रिटमेंट)। यह 50000 रुपए की मानक कटौती भी प्रदान करता है। इसके विपरीत नई व्यवस्था NPS योगदान, परिवहन भत्ता और किराए के आवास जैसी सीमित कटौती की पेशकश करती है। 50000 रुपए की मानक कटौती को बरकरार रखा गया है। प्रक्रिया को सरल बनाने और टैक्सपेयर्स के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए कम कटौतियां लागू की गई हैं।
छूट
पुरानी व्यवस्था में 5 लाख रुपए तक की आय पर छूट मिलती है। हालांकि नई व्यवस्था ने इस सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया है।
सरचार्ज
यह एक अतिरिक्त शुल्क है जो देय टैक्स पर लगाया जाता है और यह अधिक आय वाले लोगों पर लागू होता है। पुरानी व्यवस्था में सरचार्ज 37% लगता था लेकिन नई व्यवस्था में इसे घटाकर 25% कर दिया गया है।
कौन सा टैक्स रिजीम चुनना चाहिए?
दोनों व्यवस्थाओं के अपने फायदे और नुकसान हैं और जो आपके लिए सही है उसे चुनना वित्तीय और टैक्स बचत लक्ष्यों जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। दोनों व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण अंतर हैं जो उन्हें विभिन्न करदाताओं के लिए उपयुक्त बनाते हैं। अगर आपका लक्ष्य अपनी टैक्स देनदारी को कम करना है तो विभिन्न कटौतियों के साथ पुरानी व्यवस्था आपके लिए उपयुक्त हो सकती है। यह बचत की आदत को भी बढ़ावा देता है। दूसरी ओर नई व्यवस्था बहुत कम कटौती की पेशकश करती है और आपकी खर्च योग्य आय को अधिकतम करने के साथ-साथ टैक्स-फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करती है। अगर आपकी आय निचले स्तर पर है और आप कम कटौतियों का लाभ उठा सकते हैं तो नई टैक्स व्यवस्था आपके लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है। आपकी आय और कटौतियों के आधार पर आपको किस कर व्यवस्था का पालन करना चाहिए, यह तय करने में आपकी मदद के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है।
(यह आर्टिकल बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने लिखी है)
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