UPI Transaction Limit: अब ग्राहक दुकानदार को कर सकेंगे बड़ी UPI पेमेंट ! NPCI को RBI ने दी लिमिट बढ़ाने की मंजूरी
NPCI UPI Transaction Limit: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को ‘ग्राहकों से दुकानदारों’ को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिए लेनदेन की सीमा में संशोधन की अनुमति देने का फैसला किया है।

RBI ने NPCI को दी खास मंजूरी
- RBI ने NPCI को दी खास मंजूरी
- बढ़ा सकेगी UPI पेमेंट लिमिट
- ग्राहक दुकानदार को कर सकेंगे बड़ी पेमेंट
NPCI UPI Transaction Limit: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को ‘ग्राहकों से दुकानदारों’ को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिए लेनदेन की सीमा में संशोधन की अनुमति देने का फैसला किया है। हालांकि, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच यूपीआई के जरिये लेनदेन की सीमा पहले की तरह एक लाख ही रहेगी। वर्तमान में ग्राहकों से दुकानदारों (पी टू एम) को पूंजी बाजार, बीमा, जैसे मामलों में प्रति लेनदेन दो लाख रुपये, जबकि टैक्स भुगतान, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल, आरंभिक IPO के लिए भुगतान सीमा पांच लाख रुपये है।
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NPCI को दी गयी अनुमति
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि एनपीसीआई को व्यक्ति से कारोबारियों को यूपीआई माध्यम से लेनदेन सीमा में संशोधन की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
केंद्रीय बैंक के बयान के अनुसार, ‘‘अर्थव्यवस्था की जरूरतों के मुताबिक नए उपयोग के मामलों में एनपीसीआई, बैंकों और यूपीआई परिवेश से जुड़े अन्य पक्षों के परामर्श से, उपयोगकर्ता की बदलती जरूरतों के आधार पर ऐसी सीमाओं की घोषणा और संशोधन कर सकता है।’’
सेफ्टी के भी किए जाएंगे इंतजाम
बैंकों को एनपीसीआई की घोषित सीमाओं के भीतर अपनी आंतरिक सीमाएं तय करने का विवेकाधिकार बना रहेगा। आरबीआई ने यह भी कहा कि ऊंची सीमा से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाएंगे।
तेल के दाम गिर सकते हैं
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, ग्लोबल ग्रोथ में मंदी के कारण कमोडिटी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आ सकती है। मल्होत्रा ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। मल्होत्रा का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण व्यापारिक निर्यात पर दबाव रहेगा, जबकि सेवा निर्यात में लचीलापन बना रहेगा। (इनपुट - भाषा)
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