ऑनलाइन गेमिंग पर भारी-भरकम टैक्स
Online Gaming Industry And 28 % GST :ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी टैक्स के फैसले के बाद, यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ऑनलाइन गेमिंग का भारत में खेल खत्म हो गया है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का जिस तरह रिएक्शन आ रहा है, उससे तो यही लगता है कि सरकार का यह फैसला 10 अरब डॉलर की गेमिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ा सेटबैक है। कंपनियों को इसके जरिए न केवल अपने कारोबार गिरने का डर सता रहा है बल्कि बड़े पैमाने पर नौकरी जाने का भी खतरा दिख रहा है। उनकी परेशानी का आलम यह है कि ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) ने सरकार के इस कदम को असंवैधानिक और तर्कहीन बता दिया है। अब सवाल उठता है कि 28 फीसदी टैक्स लगाने से ऐसा क्या होगा जिससे गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग इतने परेशान है। उनके इस परेशानी को प्रमुख कारोबारी और अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले अशनीर ग्रोवर ने ट्वीट कर बयां किया हैं।
100 रुपये बन जाएंगे 54
अशनीर ग्रोवर ने अपने ट्वीट पर 100 रुपये का उदाहरण देते हुए बताया है कि नए फैसले के बाद अगर कोई व्यक्ति 100 रुपये लगाएगा, तो उस पर 28 फीसदी यानी 28 रुपये जीएसटी लग जाएगी। और उसके बाद खेलने के लिए 72 रुपये बचेंगे।
वहीं अगर वह खेल के दौरान जीत जाता है तो 72 रुपये में से 18 रुपये प्लेटफॉर्म फीस के रूप में चले जाएंगे। यानी उसकी मूल रकम 54 रुपये रह जाएगी। और उसके बाद जीती रकम पर उसे 30 फीसदी टैक्स देना होगा। ग्रोवर इतना टैक्स देने के बाद खेलने वाले व्यक्ति के पास क्या बचेगा। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि स्टार्टअप फाउंडर को अब राजनीति ज्वाइन कर लेनी चाहिए।
आम तौर पर ज्यादातर कंपनियां प्लेटफॉर्म फीस 10-20 फीसदी के अंदर लेती हैं।
लाखों नौकरी खत्म होने का जताया अंदेशा
जीएसटी परिषद की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर पूर्ण कारोबार मूल्य पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने का फैसला आने के बाद नजारा, गेम्सक्राफ्ट, जुपी और विंजो जैसी गेमिंग कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) ने कहा कि जीएसटी परिषद का यह फैसला असंवैधानिक और तर्कहीन है।एआईजीएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रोलैंड लैंडर्स ने कहा कि यह निर्णय पूरे भारतीय गेमिंग उद्योग को खत्म कर देगा और लाखों लोगों की नौकरी चली जाएगी। इससे सिर्फ राष्ट्र-विरोधी गैरकानूनी विदेशी मंच ही लाभान्वित होंगे।
वहीं इंडियाप्लेज के मुख्य परिचालन अधिकारी आदित्य शाह ने कहा है कि 28 प्रतिशत कर लगाने से गेमिंग उद्योग के लिए चुनौतियां बढ़ जाएंगी। ऊंचे कर का बोझ कंपनियों के नकद प्रवाह को प्रभावित करेगा जिससे इन्नोवेशन,रिसर्च और व्यापार विस्तार में निवेश करने की उनकी क्षमता भी सीमित हो जाएगी।उनके अनुसार कौशल-आधारित गेम और सट्टेबाजी में लगे ऐप्स या कसीनो के साथ एक जैसा बर्ताव नहीं होना चाहिए।गेम्स 24x7 और जंगली गेम्स जैसी कंपनियों के संगठन ई-गेमिंग फेडरेशन ने कहा कि कर का बोझ बढ़ने से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग न केवल अव्यवहार्य हो जाएगा बल्कि यह वैध कर-भुगतान करने वाली इकाइयों के बजाय काला बाजारी करने वाले परिचालकों को बढ़ावा देगा।
सरकार का क्या है तर्क
वहीं ऑनलाइन गेमिंग पर अधिकतम 28 फीसदी टैक्स स्लैब रखने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग, कसीनों पर अधिकतम दर से कर लगाने के पीछे इरादा किसी उद्योग को खत्म करना नहीं है। बैठक में इस नैतिक प्रश्न पर भी चर्चा की गई। इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें आवश्यक उद्योगों से अधिक बढ़ावा दिया जाए।
सीतारमण ने कहा, कि हम शुद्ध रूप से यह देख रहे हैं कि किस पर कर लगाया जा रहा है क्योंकि यह मूल्य सृजित करता है, लाभ कमाया जा रहा है... दांव लगाकर जो लोग जीतते हैं, उसके आधार पर कर लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ऑनलाइन गेमिंग के नियामकीय पहलू को देख रहा है, जबकि जीएसटी परिषद ने केवल कर के संबंध में निर्णय लिया है।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर कर इस आधार पर कोई भेदभाव किये बगैर लगाया जाएगा कि खेल के लिए कौशल की जरूरत है या वे संयोग पर आधारित हैं।ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो को लॉटरी और जुए की तरह ‘कार्रवाई योग्य दावे’ के रूप में परिभाषित करने के लिये जीएसटी कानून में संशोधन का विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में लाए जाने की संभावना है।