Mutual Fund Investment: ओपन-एंडेड या क्लोज एंडेड, कौन सा म्यूचुअल फंड रहेगा आपके लिए बेस्ट, जानिए यहां
Open-Ended Vs Close-Ended Mutual Fund: ओपन-एंडेड फंड एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए हाई लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करते हैं। मगर क्लोज-एंडेड फंड्स में एक्सपेंस रेशियो कम होता है और निवेशकों को बाजार के अस्थिर होने पर गलत फैसला लेने से रोक सकता है।
ओपन-एंडेड बनाम क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड
मुख्य बातें
- क्लोज-एंडेड फंडों में होती है लिक्विडिटी की कमी
- टैक्सेशन क्लोज-एंडेड और ओपन-एंडेड के लिए है एक जैसा
- ओपन-एंडेड फंड में मिलेगी लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी
Open-Ended Vs Close-Ended Mutual Fund : म्यूचुअल फंड दो तरह के होते हैं। एक ओपन-एंडेड और दूसरे क्लोज-एंडेड। ओपन-एंडेड फंड में शेयरों के ट्रांसफर पर कोई रोक नहीं होती। ये फंड पूरे साल सब्सक्रिप्शन और रिडम्पशन के लिए उपलब्ध रहते हैं, जिससे निवेशकों को हाई लिक्विडिटी मिलती है। क्लोज-एंडेड फंडों के उलट ओपन-एंडेड फंडों का स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार नहीं किया जाता है। वहीं क्लोज-एंडेड फंड न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) अवधि के दौरान एक तय संख्या में यूनिट जारी करते हैं, जिसके बाद इन फंड्स में कोई नई यूनिट नहीं खरीदी जा सकती। इन फंड्स की एक तय मैच्योरिटी डेट और लॉक-इन अवधि होती है, जिसके दौरान निवेशक अपने निवेश को रिडीम नहीं कर सकते हैं। आगे जानिए इनमें से कौन से फंड आपके लिए बेहतर रहेंगे।
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क्या हैं फायदे और नुकसान
ओपन-एंडेड फंड एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए हाई लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करते हैं। मगर क्लोज-एंडेड फंड्स में एक्सपेंस रेशियो कम होता है और निवेशकों को बाजार के अस्थिर होने पर गलत फैसला लेने से रोक सकता है।
क्लोज-एंडेड फंडों में लिक्विडिटी की कमी होती है और इनमें एसआईपी ऑप्शन नहीं मिलता। इनमें एनएफओ अवधि के दौरान निवेशकों को लम्पसम अमाउंट निवेश करना होता है।
टैक्स में कुछ अंतर नहीं
टैक्सेशन के लिए ओपन और क्लोज-एंडेड फंड दोनों को एक समान माना जाता है। इक्विटी-ओरिएंटेड फंड्स के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (1 वर्ष से कम की होल्डिंग अवधि) पर 15% टैक्स लगाया जाता है, और लॉन्ग टर्म कैपिटल गनेस (1 वर्ष से अधिक की होल्डिंग अवधि) पर 10% टैक्स लगाया जाता है।
पिछले प्रदर्शन की जानकारी
एनएफओ के समय क्लोज-एंडेड फंड्स के पास पिछले प्रदर्शन का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जबकि ओपन-एंडेड फंडों की परफॉर्मेंस हिस्ट्री होती है जिस पर निवेशक विचार कर सकते हैं।
क्या है निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड फाइनेंशियल मार्केट में निवेश करने का एक प्रभावी तरीका है, और ओपन-एंडेड और क्लोज-एंडेड फंड के बीच अंतर को समझने से निवेशकों को फैसला लेने में मदद मिल सकती है। ओपन-एंडेड फंड लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी प्रोवाइड करते हैं। मगर क्लोज-एंडेड फंड इंवेस्टमेंट टार्गेट को पूरा करने और लंबी निवेश अवधि वाले निवेशकों के लिए बेहतर हो सकते हैं।
डिस्क्लेमर : यहां मुख्य तौर पर म्यूचुअल फंड की जानकारी दी गयी है, निवेश की सलाह नहीं। म्यूचुअल फंड में जोखिम होता है, इसलिए निवेश अपने जोखिम पर करें। निवेश करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर व...और देखें
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