Times Now Summit 2024: इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा आने के बाद अब कुछ नहीं बचा, विपक्ष के पास बोलने को कुछ नहीं इसलिए चुप- निर्मला
Times Now Summit 2024 India Unstoppable: टाइम्स नाउ समिट-इंडिया अनस्टॉपेबल कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया है। अब सबकुछ सामने है। विपक्ष को बोलने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वह चुप है।
टाइम्स नाउ समिट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
Times Now Summit 2024 India Unstoppable: टाइम्स नाउ समिट-इंडिया अनस्टॉपेबल (India Unstoppable) कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर और टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार ने एक्सक्लूसिव बातचीत की। उन्होंने सवालों का बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद सब कुछ साफ हो गया है। अब कुछ बचा नहीं है। विपक्ष के पास इस पर बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है। इसलिए ये सब चुप हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड कानून रद्द हो गया, सब कुछ सामने है
निर्मला सीतारमण ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर कहा कि कानून को खत्म कर दिया गया है। बॉन्ड्स खरीदे गए। सभी पार्टियों को चंदा गया। यह कानून के हिसाब से हुआ। जो उस समय कानून बना था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह कानून असंवैधानिक है। जब कानून रद्द हो गया तो सब कुछ सामने आ गया। हम कोर्ट के आदेश के खिलाफ नहीं हैं। उस समय इलेक्टोरल बॉन्ड में कॉन्फिडेंशियलिटी की जरुरत थी। मुझे याद है स्वर्गीय अरूण जेटली ने संसद में यह बात कही थी। उसके बाद यह संसद से पास हुआ था।
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इलेक्टोरल बॉन्ड से ईडी रेड का कोई लेना देना नहीं
अब कोर्ट ने इसका खुलासा कर दिया है। तो सब कुछ सामने आ गया है। खुलासा होने के बाद हर किसी ने डेटा को देखा और जांचा परखा। प्रत्येक डोनर और रिसीवर का पता चल गया। जिस पर ईडी की रेड हुई उसने बीजेपी को पैसा दिया। ऐसा कहा जाने लगा। लेकिन यह गलत साबित हुआ। लोगों ने बॉन्ड खरीदा, पार्टियों को चंदा मिला। ईडी रेड अभी भी हो रही है। ईडी को जो सही लग रहा है वह कर रही है। बॉन्ड खरीदने को लेकर ईडी रेड से कोई मतलब नहीं है।
सभी पार्टियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लिया
सभी तरह के परमुटेशन-कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया गया। रिलीज्ड डेटा को जांचा परखा गया। अब किसी के पास बोलने के लिए शब्द नहीं है। कई पार्टियों ने कहा कि यह घोटाला है। उन पार्टियों ने भी बॉन्ड्स से चंदा लिया। बताए किसी के पास बोलने के लिए नैतिक अधिकार है? यह सब कानून के हिसाब से हुआ। पहले कैश, सूटकेस, बोरी में पैसे दिए जाते थे। पहले ये सब होता था। कम से कम अब डोनर और लेने वाली पार्टी का पता तो चला। पहले से ये बेहतर तो है, अब सब कुछ सामने है। इलेक्टोरल बॉन्ड अब कहानी हो गई। अब वह नहीं है क्योंकि कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है। अब सब क्लियर है। चुनावी चंदे की ट्रान्सपेरेंसी पर उन्होंने कहा कि इस पर बहुत कुछ करना बाकी है।
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