देश के 4.5 करोड़ परिवार केबल पर नहीं देख पा रहे अपने पसंदीदा चैनल, प्राइस वॉर का भुगत रहे खामियाजा, जानें पूरा मामला
प्रसारकों ने ट्राई द्वारा जारी एनटीओ के तहत 15 फरवरी को विभिन्न केबल ऑपरेटरों को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए नोटिस जारी किया था। हालांकि, केबल सेवा प्रदाताओं ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण प्रसारकों ने सिग्नल बंद कर दिए।
देश भर में लगभग 4.5 करोड़ केबल टीवी परिवार अपने पसंदीदा चैनलों को नहीं देख पा रहे हैं
देश के एक तिहाई घरों में लोग केबल और सैटेलाइट पर अपने पसंदीदा चैनल नहीं देख पा रहे हैं। डिज्नी स्टार, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया लिमिटेड सहित प्रमुख प्रसारकों ने उन केबल ऑपरेटर को सिग्नल उपलब्ध कराना बंद कर दिया है, जिन्होंने नए टैरिफ आदेश (NTO) के तहत बढ़ी हुई कीमतों के साथ नए समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस पूरे विवाद का असर उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। आइए जानते हैं क्या है यह पूरा मामला।
- डिजिटल केबल टेलीविजन कंपनियों की शीर्ष संस्था ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने कहा कि उन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर करने से इसलिए मना कर दिया है क्योंकि इससे उनकी लागत 25 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो जाएगी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
- फेडरेशन ने कहा कि वह इस मामले में कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रही है। इससे पहले प्रसारकों ने ट्राई द्वारा जारी एनटीओ के तहत 15 फरवरी को विभिन्न केबल ऑपरेटरों को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए नोटिस जारी किया था। हालांकि, केबल सेवा प्रदाताओं ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण प्रसारकों ने सिग्नल बंद कर दिए। इस कदम के बाद देशभर में लगभग 4.5 करोड़ केबल टीवी उपभोक्ता इन प्रसारकों द्वारा प्रसारित चैनलों को नहीं देख पा रहे हैं।
- इससे पहले प्रसारकों ने 15 फरवरी को केबल ऑपरेटरों/मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों को क्षेत्रीय नियामक ट्राई द्वारा जारी न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO) 3.0 के लिए नए रिफरेंस इंटरकनेक्ट ऑफर (RIO) पर हस्ताक्षर करने के लिए नोटिस जारी किया था। हालांकि, केबल सेवा प्रदाताओं ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण प्रसारकों ने सिग्नल काट दिए।
- डिज्नी-स्टार, सोनी और जी ने एआईडीसीएफ के सदस्यों के साथ-साथ अन्य केबल टीवी प्लेटफार्म पर अपने चैनल दिखाने बंद कर दिए हैं। इन केबल टीवी प्लेटफार्म ने ब्रॉडकास्टरों द्वारा दाम बढ़ाए जाने विरोध RIO पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
- इस विवाद के चलते देश भर में लगभग 4.5 करोड़ केबल टीवी परिवार अपने पसंदीदा चैनलों को नहीं देख पा रहे हैं। लग रहा है कि प्रसारकों द्वारा कीमतों में प्रस्तावित बढ़ोतरी बहुत अधिक होगी और ग्राहकों के लिए कीमतों में वृद्धि 60 प्रतिशत तक हो सकती है। फरवरी में लागू होने वाले एनटीओ 3.0 के तहत लोकप्रिय चैनलों की कीमतों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
- प्रसारकों और डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) ने इस घटनाक्रम पर एक बयान जारी करते हुए कहा है कि कुछ केबल ऑपरेटरों ने नोटिस देने के बाद अपनी सेवाओं को बंद करने के लिए मजबूर करने के लिए नए समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए।
4 साल बाद प्रसारकों ने कीमत में बढ़ोतरी की
आईबीडीएफ ने महासचिव सिद्धार्थ जैन के हवाले से कहा है कि ट्राई द्वारा नए एनटीओ दिशानिर्देश जारी किए जाने के 4 साल बाद प्रसारकों ने कीमत में बढ़ोतरी की थी। भारत के PayTV ग्राहकों के 80% हिस्सेदारी वाले अधिकांश डीटीएच और केबल ऑपरेटरों ने पहले ही नई कीमतों को लागू करना शुरू कर दिया है और उन्हें 4 साल बाद उपभोक्ता कीमतों में लगभग 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी करनी पड़ी है।
इसमें आगे कहा गया है कि कुछ केबल ऑपरेटरों ने नए समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए है और प्रसारकों को उचित नोटिस देने के बाद अपनी सेवाओं को बंद करने के लिए मजबूर किया। एआईडीसीएफ के अनुसार, इसके सदस्यों के अलावा विभिन्न स्वतंत्र एमएसओ को भी इन प्रसारकों ने डिस्कनेक्ट कर दिया है क्योंकि अधिकतर बड़े और मध्यम एमएसओ ने इस बढ़ी हुई कीमत के साथ RIO पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।
केरल हाई कोर्ट के समक्ष एनटीओ 3.0 को चुनौती
वहीं, एआईडीसीएफ के अध्यक्ष अनिरुद्धसिंह जडेजा ने कहा कि मामला विचाराधीन है क्योंकि महासंघ ने केरल हाई कोर्ट के समक्ष एनटीओ 3.0 को चुनौती दी है और जिसकी सुनवाई अगले सप्ताह शुरू होगी।
अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर जडेजा ने कहा कि हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। हम एनटीओ 3.0 को वापस लेने और पुरानी व्यवस्था को जारी रखने के लिए ट्राई को एक नया प्रतिनिधित्व भी देंगे। एआईडीसीएफ अध्यक्ष ने कहा कि नई एनटीओ व्यवस्था के तहत प्रसारकों को 25 से 35 प्रतिशत अधिक लाभ होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे कीमतों में बढ़ोतरी भी होगी और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। एआईडीसीएफ के सदस्यों की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।
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