छोटे कर्मचारियों की घट गई सैलरी लेकिन टॉप Boss की बल्ले-बल्ले,oxfam रिपोर्ट में खुलासा

Oxfam report on labour day: भारत में एक औसत श्रमिक साल भर में जितनी कमाई करता है, उससे ज्यादा किसी कंपनी का एक सीईओ 4 घंटे में कमा लेता है। ऑक्सफैम के अनुसार दुनिया में कॉरपोरेट मालिक एक तरफ लोगों को बता रहे हैं कि हमें वेतन कम रखने की जरूरत है। वहीं वह खुद और शेयधारकों को भारी पेमेंट दे रहे हैं।

oxfam report on labour day

बॉस और कर्मचारी में सैलरी का भारी अंतर

Oxfam report on labour day:कॉरपोरेट जगत में टॉप पेड सीईओ और उनकी कर्मचारियों के सैलरी बढ़ोतरी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में टॉप-पेड सीईओ की सौलरी में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इस दौरान श्रमिकों की सैलरी में 3.19 की गिरावट आई है। वहीं भारतीय सीईओ की बात करें टॉप-सीईओ की लिस्ट में 150 सीईओ ऐसे हैं जिनको एक साल में औसतन एक मिलियन डॉलर की सैलरी मिली है। जो कि साल 2021 की तुलना में करीब 2 फीसदी ज्यादा है। ऑक्सफैम ने अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के मौके पर यह रिपोर्ट जारी की है।

श्रमिक की साल भर की कमाई, सीईओ के 4 घंटे के बराबर

रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक औसत श्रमिक साल भर में जितनी कमाई करता है, उससे ज्यादा किसी कंपनी का एक सीईओ 4 घंटे में कमा लेता है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल के अंतरिम कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने कहा है कि दुनिया में कॉरपोरेट मालिक एक तरफ लोगों को बता रहे हैं कि हमें वेतन कम रखने की जरूरत है। वहीं वह खुद और शेयधारकों को भारी पेमेंट दे रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 50 देशों में एक अरब श्रमिकों के औसत वेतन में साल 2022 में 685 अरब डॉलर की कटौती हुई है। वहीं अगर महंगाई के आधार पर देखा जाय तो श्रमिकों को 746 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

बिना सैलरी के महिलाओं का काम

रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं और लड़कियां हर महीने कम से कम 380 अरब घंटे बिना सैलरी के काम कर रही है। इसके अलावा उन्होंने कम सैलरी मिल रही है। निष्कर्षों से पता चलता है कि उन्हें पुरुषों के समान मूल्य के काम के लिए लिंग आधारित भेदभाव, उत्पीड़न और कम वेतन का भी उन्हें सामना करना पड़ता है। श्रमिक संगठनों की कमजोरी ने सबसे अमीर और बाकी लोगों के बीच की खाई को चौड़ा कर दिया है।

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