Parle-G: हर सेकंड बिकते हैं 4500 बिस्किट, जानें कैसे पड़ा नाम और कौन है रैपर वाली 'लड़की'
Parle-G Biscuit Story: पारले-जी बिस्किट की ही तरह पारले कंपनी भी काफी फेमस है और यह भारत का टॉप एफएमसीजी ब्रांड है। पारले-जी बिस्किट के साथ लोगों के बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं।
हर सेकंड बिकते हैं 4500 पारले-जी बिस्किट
- पारले-जी बिस्किट है बहुत फेमस
- हर सेकंड बिकते हैं 4551 पैकेट
- 1938 में हुई थी शुरुआत
Parle-G Biscuit Story: मार्केट में एक से एक महंगे बिस्किट उपलब्ध हैं। मगर जो पहचान पारले-जी (Parle-G) की है, वो किसी और ब्रांड के बिस्किट की नहीं है। आप भी पारले-जी से अच्छी तरफ वाकिफ होंगे। पारले-जी भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे अधिक बिकने वाला बिस्किट रहा है। इस बिस्किट के साथ लोगों के बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं।
पारले-जी कोई आम बिस्किट नहीं, एक इमोशन है। लोगों के पास इस सिम्पल बिस्किट को चाय, दूध और कभी-कभी पानी के साथ मिलाकर खाने की अच्छी यादें मौजूद हैं। पारले-जी बिस्किट पर लड़की की तस्वीर भी अपने आप में यूनीक और आइकॉन है।
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पारले-जी बिस्किट की ही तरह पारले कंपनी भी काफी फेमस है और यह भारत का टॉप एफएमसीजी ब्रांड है। आखिर कैसा रहा पारले-जी की कामयाबी का सफर, आगे जानिए।
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12 लोगों ने शुरू की थी कंपनी
पारले की वेबसाइट के अनुसार पारले-जी की शुरुआत आज़ादी से बहुत पहले हुई थी। पारले-जी के फाउंडर मोहनलाल दयाल ने 1929 में विले पार्ले, मुंबई में पहली पारले फैक्ट्री लगाई थी। विले पार्ले के चलते ही इसका नाम पारले रखा गया। पारले हाउस की शुरुआत उस समय केवल 12 कर्मचारियों के साथ हुई थी, जबकि अब यह संख्या 50,500 पहुंच चुकी है।
1938 में तैयार हुआ पहला बिस्किट
भारत का सबसे पसंदीदा बिस्किट पहली बार 1938 में तैयार किया गया। उस समय इसे पारले ग्लूको (Parle Gluco) कहा जाता था। अन्य बिस्किट ब्रांड्स के साथ मुकाबले को ध्यान में रखते हुए, 1985 में प्रोडक्ट का नाम बदलकर पारले-जी रख दिया गया।
इसके अलावा, शुरुआत में 'जी' का मतलब 'ग्लूकोज' था, जिसे बाद में एक ब्रांड नारे द्वारा 'जीनियर' कहा गया। तब से इसके पैकेजिंग या स्वाद में कोई बदलाव नहीं आया है।
ये हैं दिलचस्प फैक्ट्स और डेटा
- पहली बार 1938 में तैयार किया गया पारले-जी
- लगभग 1 अरब पारले-जी पैकेट हर महीने तैयार होते हैं
- दुनिया भर में 50 लाख रिटेल स्टोरों में बिकता है पारले-जी
- पारले-जी रिटेल बिक्री में 5,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाला पहला भारतीय एफएमसीजी ब्रांड
- भारत में हर सेकंड में 4551 पारले-जी बिस्कुट की खपत होती है
वैक्स पेपर में बिकता था पारले-जी
पारले-जी बिस्किट शुरू में बटर पेपर में लपेटकर बेचा जाता था। बाद में पैकेजिंग प्लास्टिक पैकेट में बदल गई। अब लोग कंपनी से प्लास्टिक से बचने और इसकी पैकिंग को बायोडिग्रेडेबल मैटेरियल में बदलने को कहते हैं।
कौन है मिस्ट्री गर्ल
अफवाह यह रही है कि पारले-जी के पैकेट पर बनी बच्ची का नाम नीरू देशपांडे है और ये तस्वीर उसके पिता ने तब खींची थी जब वह लगभग 4 साल की थी। मगर इन अफवाहों पर तब विराम लग गया जब पारले प्रोडक्ट्स के ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर मयंक शाह ने कहा कि तस्वीर में बच्ची सिर्फ एक इलस्ट्रेशन है जिसे 60 के दशक में एवरेस्ट क्रिएटिव के कलाकार मगनलाल दैया ने बनाया था।
1 अरब पैकेट हर महीने तैयार
लगभग 1 अरब पारले-जी पैकेट हर महीने तैयार किए जाते हैं जिन्हें देश और दुनिया भर में 50 लाख रिटेल स्टोरों में बेचा जाता है। नील्सन सर्वे के अनुसार, पारले-जी रिटेल बिक्री में 5,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने वाला पहला भारतीय एफएमसीजी ब्रांड बना।
चीन तक में इस ब्रांड के कंज्यूमर का एक बड़ा बाजार है। पारले-जी चीन में बाकी सभी बिस्किट ब्रांड से ज्यादा बिकता है। इतना ही नहीं, सर्वे में यह भी दावा किया गया है कि भारत में हर सेकंड में 4551 पारले-जी बिस्कुट की खपत की जा रही है।
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